Sep 3, 2022

एमडीएम पर शिक्षकों के पांच करोड़ रुपये खर्च, नहीं मिला भुगतान

बस्ती जिले में अप्रैल 2022 से एमडीएम के कन्वर्जन कास्ट का बजट नहीं मिला है। लिहाजा करीब पांच करोड़ रुपये का बकाया हो चुका है, जिसका अभी भुगतान नहीं हो सका है। बजट के अभाव में कन्वर्जन कास्ट का प्रबंध प्रधानाध्यापकों को अपने स्तर से ही करना पड़ रहा है। एक-दो कर करीब पांच महीने बीत चुके हैं। गर्मी की छुट्टी के 25 दिन निकाल दें तो शेष साढ़े करीब सवा चार महीनों में एमडीएम तैयार कराने में लगने वाले कन्वर्जन कास्ट से लेकर दूध आदि का प्रबंध गुरुजी को अपनी जेब से ही करना पड़ा।     

जिले की बात करें तो कुल 2230 परिषदीय समेत अन्य स्कूल हैं, जहां मध्यान्ह भोजन का लाभ छात्र-छात्राओं को मिलता है। इन स्कूलों में लगभग ढाई लाख विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। स्कूलों में एमडीएम यानी मध्यान्ह्न भोजन मीनू के अनुसार स्कूल दिवस में दिया जाता है। प्राइमरी स्कूल में प्रत्येक छात्र के लिए 4.97 रुपया और उच्च प्राइमरी स्कूल में प्रति छात्र 7.45 रुपया कन्वर्जन कास्ट के रूप में मिलता है। एमडीएम में लगने वाले अनाज का प्रबंध कोटे की दुकान से किया जाता है। जिला समन्वयक बालिका शिक्षा अमित मिश्रा के अनुसार जनपद में पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न की उपलब्धता है और स्कूलों में आपूर्ति समयबद्ध ढंग से डिमांड के अनुसार कराई जा रही है। एमडीएम के कन्वर्जन कास्ट का बजट मिलते ही भुगतान कर दिया जाएगा।      

अधिक छात्र संख्या वाले स्कूलों के हेडमास्टर पर बोझ एमडीएम बकाया को लेकर पहले से परेशान शिक्षिकों की समस्या का अभी समाधान नहीं हो सका है। कन्वर्जन कास्ट पर आने वाली लागत अधिक छात्र संख्या वाले स्कूलों के हेडमास्टरों पर सबसे अधिक भारी पड़ती है। निर्धारित कन्वर्जन कास्ट के लिहाज से देखें तो प्राइमरी स्कूल में तीस दिनों में सौ बच्चों पर 14910 रुपया कन्वर्जन कास्ट आता है। उच्च प्राइमरी में इतने ही बच्चों पर तीस दिन में 22350 रुपया का खर्च पड़ता है। इस लिहाज से करीब सवा चार महीने में अधिक छात्र संख्या वाले एक-एक स्कूल में बकाया की राशि एक लाख का आंकड़ा कबका पार कर चुकी है।     

             रुधौली बस्ती से अजय पांडे की रिपोर्ट

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