गोण्डा - 11 वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में जिलाधिकारी नेहा शर्मा एवं मुख्य विकास अधिकारी अंकिता जैन ,क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी ,गोण्डा डाॅ.इन्द्रजीत ,जिला कार्यक्रम प्रबंधक डाॅ.अमित सिंह के निर्देश-क्रम में 31/05/2025 को प्राचीन काली भवानी मंदिर प्रांगण में महन्त शिवाकान्त शुक्ला एवं माताश्री विमला देवी के पावन सान्निध्य एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता शारदाकान्त पाण्डेय हिन्दु युवा वाहिनी ,बजरंग दल की उपस्थिति में योग प्रशिक्षक अंजनी कुमार दुबे ,योग वेलनेस सेंटर, पण्डरीकृपाल द्वारा काॅमन योग प्रोटोकॉल का अभ्यास कराया गया । इस अवसर पर ऋचा पाण्डेय ने अपना अमूल्य सहयोग प्रदान किया।इस अवसर पर शारदाकान्त पाण्डेय ने कहा कि योग व्यक्तित्व का परिष्कार करता है ।
जिसके कारण व्यक्ति समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होता है।उन्होंने कहा कि इस वर्ष योग दिवस का मुख्य विषय "एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य के लिए योग " है,यह वास्तविकता में तभी सार्थक होगा ,जब हम सभी योग को अपने जीवन में उतार लें। योग प्रशिक्षक अंजनी कुमार दुबे ने योग के विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि योग वस्तुतः मन का विज्ञान है। स्वस्थ मन ही स्वस्थ समाज की संकल्पना को साकार कर सकता है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति स्वयं और समाज के लिए उपयोगी सिद्ध होता है।योग सर्वप्रथम स्वयं को तराशने की सीख देता है। योग सवयं का स्वयं द्वारा शोधन करने की वैज्ञानिक कला है। योग केवल आसन ,प्राणायाम नहीं है अपितु योग समग्र जीवन के विकास का प्रबंध- विज्ञान है। उन्होंन कहा कि महर्षि पतंजलि से पूर्व भी योग विद्या थी परन्तु उसे व्यवस्थित रूप देने का कार्य महर्षि पतंजलि ने किया । उन्नत समाज की संरचना के लिए स्वस्थ व्यक्तित्व की आवश्यकता के कारण ही महर्षि पतंजलि ने योगसूत्र की रचना की ,जिसमेंसमाधिपाद ,साधनपाद ,विभूतिपाद,कैवल्यपाद के अंतर्गत योग विद्या विशद निरूपण किया गया है।योग सूत्र और योग दिवस के मूल विषय पर प्रकाश डालते हुए , सामान्य जनों के लिय अष्टांग योग की महत्ता पर बल देते हुए बताया कि यम और नियम मानसिक एवं सामाजिक शुचिता के लिए आवश्यक हैं तो वहीं आसन शरीर को दृढ़ता प्रदान करता है।प्राणायाम जीवनी शक्ति का विकास करता है ,प्रत्याहार स्वयं पर नियंत्रण करने की कला सिखाता है,धारणा और ध्यान, समाधि स्व अर्थात आत्म चेतना के उत्थान की वैज्ञानिक प्रक्रिया है।उन्होने हठ योग पर भी प्रकाश डालते हुए गुरू गोरखनाथ की प्रसिद्ध उक्ति का उल्लेख करते हुए कहा,"आसन दिढ़ ,आहर दिढ़ ज्यों निद्रा दिढ़ होए ,गोरख कहें रे पूता मरे न बूढ़ा होए।।"।महन्त श्री शिवाकान्त शुक्ल जी ने कहा कि साधना के लिए शरीर और मन का स्वस्थ होना अत्यंत आवश्यक है,जो योग के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। माता श्री विमला देवी जी ने कहा कि योग आपको जीवन उत्सव हेतु तैयार करने की वैज्ञानिक आध्यात्म विद्या है ,जो मन के समस्त कलुष मिटाने हेतु माँ काली का क्रियात्मक रूप है।
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