मथुरा के जिला सत्र न्यायालय में 23 दिसंबर को एक प्रतिवाद दाखिल किया गया था। भगवान केशव देव को वादी बनाते हुए उनके भक्त के रूप में अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह और श्यामानंद पंडित ने वाद दाखिल किया था।
इस याचिका में इस बात का दावा किया गया है कि भगवान की बेशकीमती प्रतिमा आगरा लाल किले में स्थित दीवाने खास के पास बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी हैं। इससे भक्तों की भावना आहत हो रही है। अर्जी में पुरातत्व विभाग के 3 अधिकारी सहित 4 लोगों को प्रतिवादी बनाया गया है। इस पर आज सोमवार को कोर्ट में सुनवाई होगी।
सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में होगी सुनवाई इस वाद में यूनियन ऑफ इंडिया के केंद्रीय सचिव, आर्किलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के जनरल डायरेक्टर, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण आगरा के अधीक्षक और निदेशक मथुरा को प्रतिवादी बनाया गया था। इस बाद पर सोमवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में सुनवाई होगी।
न्यायालय में दाखिल किए गए वाद के अनुसार, इस मंदिर को सन 1670 में मुगल बादशाह औरंगजेब द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था। इसके बाद मंदिर में स्थापित बेशकीमती रत्न जड़ित छोटी बड़ी भगवान की प्रतिमाओं को आगरा ले जाया गया।
जहां बेगम साहिबा की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबा दिया गया वाद में दाखिल किए गए दावा के अनुसार यह विग्रह आज भी आगरा के लाल किले में दीवाने खास के पास बनी बेगम साहिबा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबी हुई हैं।
वादी महेंद्र प्रताप और श्यामानंद ने कोर्ट में दाखिल किए गए वाद में लिखा है कि इस मामले में प्रतिवादी अधिकारियों को देव विग्रहों के बारे में बताया गया और उन्हें निकलवा कर मूर्तियों को केशव देव मंदिर में स्थापित करने के लिए कहा। लेकिन, प्रतिवादियों ने हमारा कोई पक्ष नहीं रखने का अवसर दिया। वादी ने इस मामले में दीवानी न्यायालय की प्रक्रिया संहिता की धारा 80 के अंतर्गत नोटिस भी दिया लेकिन प्रतिवादियों ने उक्त नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया।
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