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Dec 20, 2022

काकोरी ट्रेन एक्शन पर आधारित पांच दिवसीय कार्यक्रम का हुआ समापन

गोंडा- आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत 15 से 19 दिसंबर के मध्य काकोरी ट्रेन एक्शन पर आधारित पांच दिवसीय कार्यक्रमों की श्रृंखला में स्थानीय संपूर्णानंद प्रेक्षागृह में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिलाधकारी डॉक्टर उज्जवल कुमार ने शाल व माला पहनाकर कवियों का स्वागत किया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता साहित्य भूषण से सम्मानित ओज के सशक्त हस्ताक्षर शिवाकांत मिश्रा विद्रोही तथा संचालन युवा कवि रामायण धर द्विवेदी ने किया।
युवा कवयित्री ज्योति मां शुक्ला रश्मि ने पढ़ा: 
रात की बात को मत सुबह कीजिए। 
जिंदगी कीमती है सुलह कीजिए।।
लखनऊ से पधारी पूनम मिश्रा ने पढ़ा: 
यूं ही अविरल हमेशा मां गंगा रहे,
शांत हो राष्ट्र कोई न दंगा रहे,
हो मेरा यह वतन प्यार का इक चमन,
सबसे ऊंचा ये अपना तिरंगा रहे।।
बहराइच से पधारे योगेंद्र योगी ने पढ़ा: 
शहीदों की शहादत से न बढ़कर कुछ फसाना है।
न वंदे मातरम से श्रेष्ठ कोई भी तराना है।
मोहब्बत आपको होगी किसी माशूक से लेकिन,
ये योगी तो महज इस देश भारत का दीवाना है।।
गोंडा की उभरती कवियत्री नीता सिंह नवल ने पढ़ा: 
बिना राधा की मूरत के अधूरा बंसी वाला है।
सीता के बिना पूरा नहीं जग का रखवाला है।
आंकलन कर नहीं सकते कभी नारी की शक्ति का।
त्रिदेवों को भी उसने अपने आंचल में पाला है।।
उत्तर प्रदेश सचिवालय में अनुभाग अधिकारी के पद पर कार्यरत लोकेश त्रिपाठी ने पढ़ा:
जाने कितनी जान गई कितनी कुर्बान जवानी हुई है।
बलिदानों की अब तक लेकिन पूरी नहीं कहानी हुई है।
जिस दिन यह गौरव गाथा में हर कोई दोहराएगा।
भारत मां के जयकारों से हर घर मंदिर बन जाएगा।। 
कवि सम्मेलन के अध्यक्ष शिवाकांत मिश्र विद्रोही ने पढ़ा:
शायर सिंह सपूतों की अनचली लीक होती है।
कायर बेटे की माता से बांझ ठीक होती है।
यह कड़वा सच है सीधी उंगली घी से न निकलता है।
शठ के सम्मुख केवल शठता ही सटीक होती है।।
सुरेंद्र सिंह झंझट ने पढ़ा: 
गुंडों का नहीं है ये दलालों का नहीं है।
डंडांे का नहीं है ये हवालों का नहीं है। 
यह देश है हमारे शहीदों की अमानत।
यह देश, देश बेचने वालों का नहीं है।।
उमाशंकर शुक्ल आलोक ने पढ़ा: 
आइए आजाद हिंदुस्तान की बातें करें।
देश में गणतंत्र के सम्मान की बातें करें।
एक धरती एक नभ है एक सूरज की प्रभा,
एकता की इस अनूठी शान की बातें करें।।
याकूब अज्म गोंडवी ने पढ़ा: 
रश्के हिंद और रश्के कमर हो गए,
शामे आजादी की वो सहर हो गए।
जिंदा हैं बिस्मिल, अशफाक लहरी भगत,
चंद्रशेखर व रोशन अमर हो गए।।
रामायण धर द्विवेदी ने अपनी प्रस्तुति में कहा:
रक्त अस्थि सर्वस्व दान कर जो दधीचि बन जाते हैं।
जिनका शौर्य हमारे जीवन में सुख शांति प्रदाता है।
बारंबार नमन करते हैं उनको नतमस्तक होकर
जिनका लहू तिरंगे को जयश्री का तिलक लगाता है।।
इस मौके पर अपर पुलिस अधीक्षक शिवराज नगर मजिस्ट्रेट अर्पित गुप्ता, एसडीएम सदर वीके सिंह, डीसी एनआरएलएम एनबी सविता, डीसी मनरेगा संतराम, जिला विकास अधिकारी दिनकर विद्यार्थी, जिला पंचायत राज अधिकारी लालजी दुबे, जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश कुमार समेत अनेक अधिकारी नगर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
                        रिपोर्ट - मुन्नू सिंह

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