लखनऊ - उप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद में हुई धांधली की जाँच के दौरान विभाग में कार्यरत रही संयुक्त निदेशक डॉ हुमा मुस्तफा पर कार्रवाई की गई है। मामले में हुमा के विरुद्ध वित्तीय अनियमितता, दायित्वहीनता तथा लापरवाही समेत कई कई आरोपों की जांच हो रही थी। जांच के दौरान मिले साक्ष्यों के आधार पर जाँचटीम द्वारा हुमा मुस्तफा को दोषी माना गया । और उसी जांच रिपोर्ट के आधार पर परिषद के महानिदेशक कुमार कमलेश ने उनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति करते हुये हुमा की पांच वेतन वृद्धियां स्थगित करने का आदेश दे दिया है। इतना ही नहीं इसके अलावा वर्ष 2016 में संयुक्त निदेशक आईटी, कनिष्ठ लिपिक समेत कई पदों पर भर्ती में हुई अनियमितता की भी जांच में भी तेजी आ गई है। अब यह माना जा रहा है कि सीघ्र ही इस पूरी भर्ती प्रक्रिया में शामिल लोगो पर भी गाज गिर सकती है।
महानिदेशक ने परिषद के सचिव आईडी राम को हुमा की सर्विस बुक में कार्रवाई का उल्लेख करने का भी आदेश दिया गया है। हुमा के पास बीकेटी में बाॅयोटेक नेटवर्किंग फैसिलिटी केंद्र पर स्थित जैव प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला के संचालन और क्रियान्वयन की जिम्मेदारी थी। उनके खिलाफ लाखों रुपये की वित्तीय अनियमितता और शासनादेश, अधिकारियों के आदेशों का उल्लंघन करने के आरोप लगे थे। उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए शासन स्तर से संयुक्त सचिव कृपा शंकर सिंह को जांच अधिकारी बनाया गया था। उन्होंने जांच करके अपनी पूरी रिपोर्ट शासन और परिषद के आला अफसरों को सौंप दी। और उसी के बाद जांच रिपोर्ट के आधार पर दोषी मानते हुए हुमा की पांच वेतन वृद्धियां, सर्विस बुक में कार्रवाई का आदेश सात अगस्त, 2020 को कार्रवाई की गई है।
संयुक्त निदेशक हुमा के खिलाफ कार्रवाई के बाद अब वर्ष 2016 में संयुक्त निदेशक आईटी, कनिष्ठ लिपिक समेत कई पदों पर भर्ती की जांच में भी तेजी आ गई है। बता देँ कि इस मामले की शिकायत व जांच की माँग एक लम्बे अरसे से की जा रही थी। शिकायतकर्ता गौतमबुद्ध नगर के आरपी सिंह ने वर्ष 2016 में संयुक्त निदेशक आईटी पद पर आवेदन किया था। उनका आरोप है कि पूर्व सरकार में लखनऊ में लंबे समय तक तैनात रहे सीएमओ की बेटी को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों में कई बार फेरबदल किए गए। परिषद के एक अधिकारी उस पूर्व सीएमओ के सगे रिश्तेदार हैं। तैनाती के दौरान उन्होंने अपने पद का प्रयोग करते हुए कई योग्य अभ्यर्थियों को दरकिनार कर दिया। इसी तरह सदर बाजार के हिमांशु ने भी कनिष्ठ लिपिक पद पर नियुक्ति में धांधली का आरोप लगाया है। इन पीड़ितों को पीएम व सीएम जन सुनवाई में शिकायत की। जिसकी जांच अपर मुख्य सचिव कुमार कमलेश ने शुरू करवा दी। उन्होंने यह जांच प्राविधिक शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग की प्रमुख सचिव राधा एस चौहान को सौंपी। यह जांच करीब पूरी हो चुकी है। माना जा रहा है कि इस जांच में भर्ती में गड़बड़ी, तत्कालीन अफसर की संलिप्तता की बात सही है। जल्द ही इस मामले में भी बड़ी कार्रवाई हो सकती है।
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