Dec 20, 2025

यूपी में बड़ा परिवहन घोटाला,अवैध सिंडिकेट के जरिए सरकारी राजस्व को भारी चूना



​लखनऊ: उत्तर प्रदेश में परिवहन विभाग के अधिकारियों और दलालों के एक बड़े गठजोड़ का खुलासा हुआ है, जहां पूरे प्रदेश में अवैध रूप से ओवरलोडेड ट्रकों को पास कराने का रैकेट का पर्दाफास हुआ है। इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने इस मामले के मुख्य आरोपियों में से एक, ए.आर.टी.ओ. (ARTO) राजीव कुमार बंसल और प्रवर्तन पर्यवेक्षक (Enforcement Supervisor) अनुज कुमार निषाद की अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज कर दी हैं।
​घोटाले का तरीका (Modus Operandi)
​जांच के अनुसार, यह सिंडिकेट मौरंग और गिट्टी से लदे ओवरलोडेड वाहनों को बिना किसी कानूनी रुकावट के निकालने के लिये प्रति ट्रक ₹5,000 से ₹6,000 की रिश्वत लेता था। पकड़े गए एक ट्रक (UP78TD7880) की जांच में पाया गया कि उसकी वजन पर्ची पर 44,370 किलोग्राम वजन दिखाया गया था, जबकि दोबारा वजन करने पर वह 66,340 किलोग्राम निकला। इस तरह कम वजन दिखाकर राज्य सरकार के राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाया जा रहा था।
​महत्वपूर्ण गिरफ्तारियां और सबूत
​अभिनव पांडे की गिरफ्तारी: एसटीएफ (STF) ने 11 नवंबर 2025 को अभिनव पांडे को पकड़ा, जिसने स्वीकार किया कि वह आरटीओ अधिकारियों की मिलीभगत से यह नेटवर्क चला रहा था।
​डिजिटल सबूत: आरोपियों के मोबाइल फोन से व्हाट्सएप चैट और नोटबुक बरामद की गई हैं, जिनमें अवैध लेनदेन और ओवरलोडेड वाहनों के संचालन का पूरा विवरण दर्ज है।
​कॉल डिटेल्स (CDR): जांच में पाया गया कि आरोपी मनोज भारद्वाज और ए.आर.टी.ओ. राजीव बंसल के बीच 211 बार, और अनुज निषाद के साथ 292 बार बातचीत हुई थी, जो उनके बीच गहरे संबंध दर्शाता है।
​कोर्ट की सख्त टिप्पणी
​न्यायमूर्ति करुणेश सिंह पवार ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार के मामलों में अग्रिम जमानत केवल असाधारण परिस्थितियों में ही दी जा सकती है। कोर्ट ने नोट किया कि आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे और उनके आवास के पते भी विभाग के रिकॉर्ड में स्पष्ट नहीं थे, जो इस सिंडिकेट की गहराई को दर्शाता है। कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट, लखनऊ को सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) के आचरण की जांच करने का भी निर्देश दिया है।
​यह मामला मड़ियाँव थाने में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किया गया है। फिलहाल एसटीएफ इस संगठित नेटवर्क के अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी है। उक्त कार्रवाई हाईकोर्ट के अपर महाधिवक्ता प्रथम जयंत सिंह तोमर की सशक्त पैरवी के चलते हुई, जो भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए एक नजीर बन गई है।

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