Jun 26, 2025

संस्था बज्मे शाम गजल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. सूर्यपाल सिंह ने की शिरकत

करनैलगंज/गोण्डा - अगर शाए़र की सोच और फिक्र में पूरा समाज और पूरी इन्सानियत नहीं है तो वह अच्छा शाए़र- साहित्यकार नहीं हो सकता । साहित्यिक संस्था 'बज़्मे शामे ग़ज़ल' के तत्वावधान में बज़्म के शाएर मु० मुबीन मंसूरी के प्रधानाध्यापक पद से सेवानिवृत्त होने पर 'एक शाम मुबीन मंसूरी के नाम' मुशाए़रा - कवि सम्मेलन में साहित्य भूषण डा० सूर्य पाल सिंह जी ने अध्यक्षीय सम्बोधन में यह विचार व्यक्त किये । एम.ए. मेमोरियल स्कूल में इस कार्यक्रम की अध्यक्षता बाद में ज़मीर फैज़ी राम नगरी ने की व संचालन याकूब सिद्दीक़ी 'अज़्म' ने किया । राष्ट्रपति से पुरस्कृत शिक्षक व उर्दू टीचर्स वेलफेयर ऐसो० के प्रदेश अध्यक्ष अदील मंसूरी (बाराबंकी) कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे । आग़ाज़ में सगीर सिद्दीक़ी ने नात पेश की । संरक्षक गणेश तिवारी 'नेश' ने स्वागत वक्तव्य किया । महामंत्री मुजीब सिद्दीक़ी ने मुबीन मंसूरी की शाए़री के हवाले से व्याख्यान दिया । मौलाना उवैस क़ादरी ने भी उनके व्यक्तित्व पर चर्चा की । अहले बज़्म ने मुबीन जी का माल्यार्पण, शाल्यार्पण करते हुए उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया । नियाज़ क़मर , सन्तराम सिंह, मास्टर समिउल्लाह, रशीद माचिस व यासीन राजू अंसारी ने अपनी रचनाओं से उनको मुबारकबाद दिया । मुबीन साहब ने भी अपनी रचना से धन्यवाद दिया ।

अध्यक्षता करते हुए ज़मीर फैज़ी राम नगरी ने कहा -  यह तो शोलों को भी गुलज़ार बना देता है - किस ने इस शख़्स को अंगार पे रख छोड़ा है ।
मुख्य अतिथि अदील मंसूरी ने ज़ोर दिया - अम्नो अमां का दर्स मिले जिस दयार से - ऐसी जगह का सबको पता लेना चाहिए ।
शकील रुदौलवी ने बड़े कवियों को समर्पित किया - ज़ोरे क़लम से देश की जो जान हो गये - तुलसी, कबीर, जायसी, रसखान हो गये । 
मुजीब रुदौलवी ने हालात पर पढ़ा - जंग से अम्न का माहौल बनाने वालो - ख़ून मज़लूमों का बहने लगा पानी की तरह ।
डा० रिहान अल्वी (बाराबंकवी) ने नसीहत की - उजाले सुबह के खै़रात में नहीं मिलते - सियाह रात से होकर गुजरना पड़ता है ।
अकी़ल ज़िया दरियाबादी ने कहा -  माल मेरा है, ज़मीं मेरी, मकां मेरा है - बस यही कहते हुए लोग गुज़र जाते हैं ।
अनीस खां आरिफी ने खुदा से दुआ की - ऐ शम्से नूर तेरी इक किरन का तालिब हूं - वजूद मेरा भी चमके जहां के पर्दे पर ।
मिस्टर अमेठवी (लखनऊ) ने कहा - कितने ही धर्म, कितने क़बीलों के लोग है - लेकिन सभी का एक ही आंगन है मेरा मुल्क ।
अजय श्रीवास्तव ने कहा - झुक कर मिला जो दोस्त नहीं दुश्मनों से भी - क़द उसका और बढ़ गया छोटा नही हुआ ।
मास्टर अलीम जरवली ने बताया - हमारा नाम लेकर जो हमेशा याद रक्खेंगे - हम अपने दुश्मनों में वो कहानी छोड़ आये हैं ।
     साथ ही ताज मु० कुरबान, मुजीब गोण्डवी, कौसर सलमानी, असद उस्मानी रुदौलवी, अल्ताफ हुसैन राईनी, तनवीर नूरी जरवली, सलीम बेदिल, निज़ामुद्दीन शम्स, उत्तम कुमार शोला, सुफियान मुजीब, अभिषेक श्रीवास्तव, इमरान मसूदी, अरबाज मंसूरी ईमानी ने कलाम पेश किये । 
संरक्षक अब्दुल गफ्फार ठेकेदार ने धन्यवाद ज्ञापित किया । इस अवसर पर अब्दुल कय्यूम सिद्दीक़ी, शाहिद रज़ा एडवोकेट, हजी वसीम राईनी, हिसामुद्दीन, हनीफ खां, मास्टर इब्राहीम, मास्टर शमीम, मास्टर इरफान खां, मास्टर इलियास, मास्टर इक़बाल , इख़लाक़ वारिस, हस्सान जलालपुरी, समी बका़ई, हाफिज़ मुख्तार अंसारी, आदिल असलम, इरशाद,‌ नसीम रौशन, दानिश अंसारी, वकील, इमरान, शारिक़ समेत अन्य उपस्थित रहे ।

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