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Apr 15, 2024

 महिषासुर का वध करने के लिए देवी मां ने पृथ्वी पर लिया अवतार

माँ भक्तो का सदैव ख्याल रखती हैः नानबाबा

बहराइच। फखरपुर ब्लाक के निष्ठा देवी मंदिर पर महंत मोरजयध्वज दास उर्फ नान बाबा द्वारा आयोजित देवी भगवत में कथा व्यास नरायण शास्त्री ने बताया महिषासुर का अंत करने के लिए समस्त देवताओं ने मिलकर अपने-अपने तेज से मां दुर्गा का अवतार करने के लिए देवी मां की विनती की थी। जिसमें महालक्ष्मी के 18 भुज रूप में महिषासुर मर्दिनी मां विंध्यवासिनी के रूप में धरती पर अवतार हुआ था। जिसमें दुष्ट महिषासुर जैसे महा भयानक असुर का मा भगवती ने दुर्गा रूप धारण किया था। सभी देवताओं ने नवरात्र पंचमी तिथि को आपस में मंत्रणा करके अपने-अपने शरीर से तेज दान किया और अपने-अपने शस्त्र देकर महालक्ष्मी जी का दुर्गा रूप धारण कर जो आज भी विंध्यवासिनी के रूप में पूजा जाता है। यह नवरात्र पंचमी के दिवस देवताओं की उधार हेतु माता ने अवतार धारण किया था और उसके बाद हिमालय राज की घर साधना करने पर नवरात्र की नवमी तिथि को रात में माता पार्वती के रूप में अवतार लेकर विंध्याचल पर्वत पर जाकर नारद जी के कहने से शिव विवाह हेतु और साधना करके समय शुंभ निशुंभ एवं चंड मुंड जैसे महा असुरों का संघार करने के लिए माता विंध्यवासिनी बनकर असुरों का संघार किया और  शिव को प्राप्त कर उनसे विवाह किया। इस मौके पर यजमान रामराज गौड़, हनुमान, सत्यम पाठक, जियालाल, घनश्याम, पप्पू, रिंकू, बाबा जगदीस, कल्लू, अनिल, हरिश्चंद्र, गोपालदास, दिलीप कुमार, अर्जुन, मूलचंद, रामसमुझ, नान्हू, लल्ला, कमलेश मास्टर, उदित नारायण, विक्रम, केशव राम, रामनरेश समेत तमाम भक्त मौजूद रहे।

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