Oct 15, 2023

शारदीय नवरात्रि पर विशेष : नवरात्रि मां दुर्गा के प्रति भक्तिभाव का एक अद्वितीय उत्सव

नवरात्रि, भारतीय समाज में माता दुर्गा के प्रति भक्तिभाव का एक अद्वितीय उत्सव है। यह नौ दिनों का उत्सव है जो महामारी, नरकासुर, और महिषासुर जैसे असुरों के साथ भगवान की लड़ाई को याद करता है और समर्थ देवी की शक्ति की प्रशंसा करता है। नवरात्रि, जिसे विभिन्न भागों में बड़ी हर्षोल्लास से मनाया जाता है, भारतीय त्योहारों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह उत्सव माता दुर्गा की पूजा का समय है और नौ दिनों तक विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के साथ मनाया जाता है।

14. नवरात्रि का पौराणिक इतिहास और कथा
नवरात्रि का इतिहास माता दुर्गा के विजय की कहानी से जुड़ा हुआ है। महिषासुर नामक राक्षस ने अपनी ब्रह्मासी शक्ति से ब्रह्मा, विष्णु, और शिव को परास्त कर लिया था। इस पर देवी पार्वती ने एक शक्तिशाली रूप में उत्पन्न हुई और उसे मारकर सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को मुक्ति दिलाई थी। इसी विजय के अवसर पर हर वर्ष नवरात्रि मनाई जाती है। नवरात्रि का ऐतिहासिक और पौराणिक विशेष रूप से महाकाली, महालक्ष्मी, और महासरस्वती की उपासना को लेकर है। महिषासुर वध के रूप में माता दुर्गा की महाकाव्य रचना का जिक्र है, जिसमें उन्होंने असुर महिषासुर का वध कर उन रात्रियों को नौ रूपों में विभाजित किया।

भारतवर्ष में नवरात्रि के उत्सव का आचरण भारतवर्ष के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। उत्तर भारत में दुर्गा पूजा का उत्सववाद, पश्चिमी भारत में गरबा और दंडिया के साथ रास गरबा का आयोजन, और पूर्वी भारत में दुर्गा पूजा के पंडालों की देखभाल और सजावट का आयोजन होता है।

नौ दिनों का महत्व
प्रतिदिन की पूजा और उपासना नौ दिनों को नौ विभिन्न रूपों में माता दुर्गा की उपासना करने का मौका देती है। प्रति दिन की शुरुआत शैलपुत्री रूप से होती है और यह नौवा और अंतिम दिन सिद्धिदात्री रूप से समाप्त होता है।

पूजा विधि और रीतिरिवाज
नवरात्रि के दिनों में अनेक प्रकार की पूजाएं और अर्चनाएं की जाती हैं। यहां भक्त अपनी श्रद्धा और भक्ति को व्यक्त करने के लिए मंत्रों और ध्यान का पाठ करते हैं। प्रतिदिन का पूजन नौ दिनों के अनुसार विशिष्ट रंगों से जोड़ा जाता है और भक्तों को आत्मिक ऊर्जा से भर देता है। इस अद्वितीय समय में, भक्त नवरात्रि की महत्वपूर्ण रात्रियों में माता दुर्गा की कथाओं को सुनते हैं और उनकी अनुग्रह को प्राप्त करने के लिए पूरे मन और श्रद्धा के साथ आराधना करते हैं।


नवरात्रि के पावन दिनों में, लोग अपनी पूर्वकृत्त पापों को शुद्ध करने के लिए व्रत रखते हैं और माता की अद्वितीय शक्ति में लीन होकर आत्मा की शुद्धि की दिशा में प्रयास करते हैं। नौ दिनों के यह आध्यात्मिक सफलता के महत्वपूर्ण होते हैं, जिनमें प्रत्येक दिन का विशेष महत्व होता है। प्रति दिन की पूजा और उपासना नौ दिव्य स्वरूपों की महत्वपूर्ण विशेषताओं को साकार करती है, जिससे भक्त अपने जीवन को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से सजाकर रख सकता है। नवरात्रि का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व नवरात्रि के उपलक्ष्य में, लोग समूह में एकता और समर्पण की भावना से जुड़ते हैं। इसके दौरान समृद्धि, शांति, और सामूहिक खुशी का अनुभव होता है। स्थानीय गरबा और दंडिया नृत्य, भक्तों को आपसी मिलन-से-मिलन और आत्मिक सान्त्वना का अनुभव कराता है।

नवदुर्गा के नौ स्वरूप
प्रति दिन का पूजा एक नए रंग और स्वरूप के साथ होता है, जिससे भक्त भगवान के सगुण और निर्गुण स्वरूपों के प्रति अपनी श्रद्धा को व्यक्त कर सकता है। प्रत्येक स्वरूप की पूजा के दौरान, विशेष मंत्रों और स्तोत्रों का पाठ किया जाता है, जो माता की कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए हैं।

नवरात्रि की रंग-बिरंगी धूम
प्रतिदिन को एक विशेष रंग से जोड़ने वाला एक रंगीन और धूमधाम से भरा होता है। प्रत्येक रंग का अपना महत्व है और यह भक्तों को उत्साही और जुजारू बनाए रखने में मदद करता है।

नौ दिनों तक सात्विक और शुद्ध भोजन का पालन किया जाता है। सबुदाना, कटहल, सिंघाड़ा आदि उपयुक्त भोजन का हिस्सा बनते हैं, जो व्रती भक्तों को शारीरिक स्वास्थ्य और आत्मिक समृद्धि की दिशा में मदद करते हैं। यह भोजन व्रती भक्तों को सात्विक ऊर्जा और ताजगी प्रदान करता है, जिससे वे अपने मन, वचन, और क्रियाओं को माता के प्रति समर्पित कर सकते हैं।

नवरात्रि के दौरान, समूह में रात्रि भर नृत्य और संगीत का आयोजन किया जाता है, जो भक्तों को आत्मिक आनंद प्रदान करता है। गरबा, दंडिया, और रास गरबा जैसे लोकनृत्यों के माध्यम से भक्त समूह के साथ एक होते हैं और माता की पूजा को नृत्य और संगीत के माध्यम से समर्थन करते हैं।

नवरात्रि आरती और भजन
नौ दिनों के यह उत्सव भक्तों को नवरात्रि की आरती और भजनों के माध्यम से माता दुर्गा की उपासना करने का अवसर देता है। इन आरतियों और भजनों में भक्ति और प्रेम की भावना समेटी जा सकती है और ये समृद्धि और आत्मिक उत्कृष्टता की दिशा में भक्त को मार्गदर्शन कर सकते हैं।

नवरात्रि के अद्भुत और अज्ञेय तथ्य - क्या आप जानते हैं?
नवरात्रि से जुड़े कुछ रोचक तथ्य हैं जो इस उत्सव को और भी अद्भुत बनाते हैं। उदाहरण स्वरूप, नवरात्रि का आयोजन हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र और आश्वयुज मास में भी होता है, जो इसे अद्वितीय बनाता है।

नवरात्रि का आधार दशहरा है, जो भगवान राम के रावण पर प्रभुता की कहानी से संबंधित है। दशहरा के दिन रावण के पुतले को जलाकर शक्ति का प्रतीक साकार किया जाता है। इसके साथ ही, यह भी दिखाता है कि अच्छे कार्यों और धर्म के माध्यम से ही बुराई को शक्तिशाली रूप में परास्त किया जा सकता है। दशहरा का यह पर्व भक्तों को उत्कृष्टता की ओर प्रेरित करता है और उन्हें अधर्म और अन्याय के खिलाफ उत्तराधिकारी बनने के लिए प्रेरित करता है।
नवरात्रि का उत्सव व्यक्ति को आत्मा की शुद्धि और शक्ति कैसे प्राप्त की जा सकती है, यह सिखाता है। इस आध्यात्मिक सफलता के दौरान, भक्त अपने अंतर्मन की गहराईयों में जाकर अपनी भूलियों से निपटता है और नई ऊर्जा और प्रेरणा को अनुभव करता है।

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