गोण्डा - जिले के लाखों लोगों को बाढ़ की विभीषिका से बचाने हेतु सिंचाई विभाग द्वारा जिले मे कई परियोजनाएं संचालित की जा रही है। परियोजनाओं पर बाकायदा बजट भी आवंटित हुआ और काम भी शुरू हो गया मगर पूरा होने का नाम नहीं ले रहा है।
करोड़ों की लागत से निर्माण और मरम्मत के अलावा इस समय बाढ़ खंड की 6 परियोजनाएं लंबित है। इनमे से कुछ को पिछले साल जून माह मे ही पूरा कर लिया जाना था और कुछ को इस साल 15 जून तक मगर अब तक स्थित क्यों कि त्यों है। जब कि सूबे मे योगी की सरकार आई तो जिले मे सिंचाई विभाग की बाढ़ परियोजनाओं पर शिकंजा कसने की बात हुई।
सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह ने पिछली सरकारों मे हुई धांधली का पर्दाफाश और अब निष्पक्ष ,पारदर्शिता की बात की गई मगर सारे दावे खोखले निकले। बाढ़ की विभीषिका के चलते जब एल्गिन तटबंध टूटा तो यहां पर करोड़ों की लागत से परियोजनाए शुरू की गई। ....
एल्गिन ब्रिज की परियोजना – 9734 लाख
एल्गिन पर कटाव निरोधक – 2208 लाख
एल्गिन पर मरम्मत कार्य – 171 लाख
सकरौर भिखारीपुर तटबंध – 2074 लाख
सकरौर भिखारीपुर मे बोल्डर और स्पर – 1768 लाख
सकरौर मेन कटाव निरोधक- 2391 लाख।
वर्तमान स्थित तो यह है कि घाघरा का बहाव बहुत ही तेज है नदी खतरे के निशान से 24 CM ऊपर बह रही है और तबाही के मंजर दिखाने के लिए बेताब।
इन 6 परियोजनाओं को पूरा करने की बात की गई थी और कुछ को विभाग पूरा करने की भी दावे कर रहा है मगर हकीकत कुछ और ही है। जब मौके पर पहुँचकर जानकारी प्राप्त की गई व लोगों से बात की तो हकीकत सामने आयी।
स्थानीय विभाग तो काम पूरा होने के दावे भी कर रहा है। मगर हमने पाया की अभी कहीं पर बोल्डर का काम अधूरा है और कहीं पिचिंग का तो कहीं मिट्टी की खुदाई ही चल रही है।
विभाग की इन्हीं तैयारियों के सहारे तो इस बार भी लाखों लोग बाढ़ की आगोश मे फिर होंगे और एक बार फिर लोगों को इसी समस्या से दो चार होना पड़ेगा।
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यहाँ पर प्रतीकात्मक नेत्र चढाने से आँखों से सम्बंधित सभी तरह की बीमारियाँ दूर हो जाती है.
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स्थानीय विभाग तो काम पूरा होने के दावे भी कर रहा है। मगर हमने पाया की अभी कहीं पर बोल्डर का काम अधूरा है और कहीं पिचिंग का तो कहीं मिट्टी की खुदाई ही चल रही है।
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