May 26, 2025

वीर-शिरोमणि महाराणा प्रताप जयन्ती एवं महाराजा सुहेलदेव विजय दिवस एक सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन

वीर-शिरोमणि महाराणा प्रताप जयन्ती एवं महाराजा सुहेलदेव विजय दिवस एक सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन

बहराइच/अखिल भारतीय साहित्य परिषद्  द्वारा पंचायती राम जानकी मन्दिर - छावनी बहराइच में वीर-शिरोमणि महाराणा प्रताप जयन्ती एवं महाराजा सुहेलदेव विजय दिवस एक सरस काव्य गोष्ठी के माध्यम से मनाया गया। गोष्ठी प्रसिद्द कवि एवं कथाकार दीनानाथ मिश्र की अध्यक्षता में संपन्न हुई तथा इसके मुख्य अतिथि कृष्ण मोहन शुक्ल थे जिन्होंने संस्कृत में अपनी कविताऐं पढ़ी। महापुरुषों की स्मृति में इस उत्सव का आयोजन परिषद् के अध्यक्ष राधाकृष्ण पाठक के द्वारा किया गया। उन्होंने अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा : "अकबर शासक की चाल सभी राणा ने बेकार किया, मेवाड़ मुकुट ने पराधीनता कभी नहीं स्वीकार किया।" गुलाब चन्द्र जायसवाल ने पढ़ा, "जिनकी शौर्य कथाओं को जग अब तक भूल न पाया है जिनका पौरुष जन-गण-मन के रग-रग में लहराया है।" परिषद् के महामंत्री रमेश चन्द्र तिवारी ने गोष्ठी का संचालन किया और पढ़ा: "तीर अर्ध चन्द्र शेर हिन्द की कमान से, चीरता अनन्त चला लेजर किरण हो। गर्दन उड़ा तो सालार गिरा झील में, जय जय सुहेल गूंजा चित्तौरा नील में !" 


राजधानी कॉलेज के प्रोफेसर डा. वेदमित्र शुक्ल ने बंशी की मधुर धुन से सबको मुग्ध करने के साथ शौर्य-ओज की पंक्तियाँ पढ़ीं। श्रवण कुमार द्विवेदी ने अपने सम्बोधन में कहा कि अपने महापुरुषों, अपनी विरासत तथा संस्कृति के प्रति श्रद्धा भाव जन-जन में पैदा करना कवि साहित्यकारों का धर्म है।  किशोरी लाल चौधरी 'अनम' ने पढ़ा "भारत के जवानों उठो रणभेरी बजा दो, तुम हो समर्थ सब विधि दुश्मन को बता दो।" विमलेश जायसवाल 'विमल', दिनेश त्रिपाठी 'शम्स', प्रेम जालान, सुभाषित 'अकिंचन', मनोज शर्मा, राकेश रस्तोगी 'विवेकी', अयोध्या प्रसाद 'नवीन', विष्णुकांत श्रीवास्तव, वीरेश पाण्डेय, अर्पण शुक्ल, शाश्वत सिंह, शैलेन्द्र कुमार मिश्र, अनुष्का 'अनघ', संत राम  वर्मा, रवि 'गुलशन', मुंशी लाल त्रिवेदी, राकेश दुबे आदि ने पितामह प्रताप और सुहेल के पराक्रम गीत गाए और उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए। बुद्धि सागर पांडेय, राम गोपाल चौधरी, मंगल प्रसाद, हरिश्चन्द्र जायसवाल, योगेंद्र कुमार मिश्र, अरुण कुमार बाजपेई, हवलदार मिश्र, अशोक कुमार पाण्डेय, कमल नारायण आदि बहुत से श्रोताओं ने काव्य पाठ का आनन्द लिया।  


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