करनैलगंज/गोण्डा - सिद्धांतो के अडिग राही वरिष्ठ नेता,समाजसेवी अवधेश सिंह की आज प्रथम पुण्य तिथि है, अपने सिद्धांतों के लिए वह सदैव याद किए जाएंगे। बीते साल 21 अप्रैल को अवधेश सिंह जी का 70 वर्ष की आयु में निधन हो गया था। पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पद चिन्हों पर चलने वाले कर्मठता व अदम्य साहस के धनी अवधेश सिंह ने जीवन में कभी हार नहीं मानी,तमाम अभावों में रहते हुए भी उन्होंने कभी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। एक दौर था जब देश में जनता दल की सरकारें थीं, बीपी सिंह, चंद्रशेखर, इन्द्र कुमार गुजराल और देवेगौड़ा देश के प्रधानमंत्री हुआ करते थे, उस दौर में नेता अवधेश सिंह बुलंदियों के शिखर पर थे, जहां शरद यादव कद्दावर नेता अति निकट थे ,फिर भी उन्होंने अपने को लूट घसोट व भ्रष्टाचार से पूर्णतया दूर रखा। अवधेश सिंह ने आजीवन संघर्ष का रास्ता चुना, सामाजिक मुद्दों को लेकर आमरण अनशन किया। अभावों की पराकाष्ठा झेली लेकिन कभी किसी के दबाव में नहीं आए और न ही कभी सिद्धांतो से समझौता किया। उनका पूरा जीवन संघर्ष और आंदोलनों से जुड़ा रहा, वह प्रदेश व देश के बड़े- बड़े आंदोलनों के हिस्सा रहे, एक वक्त था जब अवधेश सिंह नाम ही आंदोलन का परिचय हुआ करता था। जनहित के मुद्दों पर जब कहीं आंदोलन की जरूरत पड़ी तो वह सबसे आगे रहे,उनके बगैर आंदोलन अधूरा माना जाता था। बहुत ही मजबूत व्यक्तित्व के धनी अवधेश सिंह की विगत 14 अप्रैल 2024 को अचानक तबियत बिगड़ने पर उन्हें करनैलगंज के एक निजी चिकित्सालय लाया गया जहां 5 दिनों तक इलाज के बाद उन्हें लोहिया संस्थान लखनऊ ले जाया गया। जीवन में कभी हार न मानने वाले अवधेश सिंह 21 अप्रैल 2024 को लोहिया अस्पताल में इलाज के दौरान जिंदगी कीअंतिम जंग हार गए। मुख्य रूप से सोशलिस्ट विचारधारा के पोषक अवधेश सिंह अपने संघर्षों व सिद्धांतों के लिए सदैव याद किए जाएंगे।
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