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Sep 27, 2022

करनैलगंज:श्रीराम जानकी मंदिर को लेकर पूर्व एसडीएम के पत्र से बड़ा खुलासा

करनैलगंज/गोण्डा - नगर के एक प्राचीन श्रीराम जानकी चतुर्भुजी मंदिर के मामले में पूर्व उपजिलाधिकारी के वायरल पत्र से बड़ा खुलासा हुआ है। जिसमे स्थानीय प्रशासन से लेकर समिति के सदस्यों की भूमिका संदिग्ध है। उक्त मंदिर के अंतर्गत कई संपत्तियां हैं जिसमें कर्नलगंज ग्रामीण के सकरौरा घाट पर काफी भूमि है और कुछ मंदिर है जो कि जर्जर हो गए हैं और वहां पर अराजक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। पर स्वयं को इस मंदिर का सरवराकार बताने वाले कुछ लोग पूजा-पाठ ,मंदिर का बिकास,वहां अराजक तत्वों के जमावड़े पर ध्यान न देकर मंदिर की संपत्तियों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। इस मंदिर के अंतर्गत आने वाली संपत्तियों व पूजा-पाठ किए जाने के लिए एक समिति के गठन के निर्देश तत्कालीन जिलाधिकारी ने दिए थे जिसपर  तत्कालीन उप जिलाधिकारी ने 25 जून 2015 को 11 सदस्य समिति का गठन किया था, जिन्हें मंदिर की संपत्ति से प्राप्त आय का ब्यौरा लिखित रूप से उप जिलाधिकारी के खाते में जमा करना था और मंदिर के पूजा-पाठ व अन्य खर्चा का ब्यौरा भी देना था। पर सदस्यों द्वारा लापरवाही के चलते कोई ब्यौरा नहीं दिया गया। जिसपर तत्कालीन उपजिलाधिकारी ज्ञानचंद गुप्ता ने 17 मार्च 2020 को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कहा कि मंदिर के पुजारी द्वारा व्यवस्था संचालन हेतु बार-बार धन की मांग की जा रही है। वायरल पत्र में उन्होंने लिखा है कि, तहसील में उपलब्ध पत्रावली पर मंदिर संपत्ति से से प्राप्त आय व्यय का कोई विवरण उपलब्ध नहीं है और ना ही किसी बैठक का विवरण उपलब्ध है। पूर्व एसडीएम ज्ञान चंद गुप्ता का कहना है कि मंदिर की भूमि कर कृषि कार्य कर रहे लोगो को नोटिस दी तो पता चला कि समिति के कुछ लोगो द्वारा 18000 से 20000 रुपए प्रति हेक्टेयर उनसे लिया जा रहा है। लेकिन समिति द्वारा उसका कोई ब्यौरा उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। उन्होंने मामले में गबन की आशंका व्यक्त करते हुए तहसीलदार व क्षेत्रीय लेखपाल के खाते में मंदिर सम्पत्ति का पैसा जमा कराने का आदेश दिया था। लेकिन बात आई व गई जैसी हो गई। अब बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर यह पैसा कहां जा रहा है और स्थानीय प्रशासन भी पूरी तरह से आखिर क्यों निष्क्रय है। कहीं तत्कालीन एसडीएम ज्ञानचंद गुप्ता की आशंका सच तो नहीं। शायद इसका ज़बाब किसी के पास नही है।टी

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