गोण्डा-ग़ज़ल सम्राट दुष्यंतकुमार की व्यवस्था विरोधी परंपरा के संवाहक उत्तर प्रदेश गोंडा के हिंदी ग़ज़लकार स्व. आदम गोंडवी
की गजलो में व्यवस्था विरोध का संशोधनात्मक अध्ययन करके महाराष्ट्र परभणी के शोध छात्र श्री आनंद देवगिरि गिरि ने पीएचडी की उपाधि हासील की है। अदम गोंडवी के गजलो का भारतीय परिप्रेक्ष्य में महत्व एवं प्रासंगिकता को ध्यान में लेकर ही विगत 7 वर्ष गहन अध्ययन अनुशीलन के पश्चात शोध छात्र आनंद गिरी ने प्रोफेसर डॉ. संजय जाधव हिंदी विभागाध्यक्ष श्री.शिवाजी कॉलेज परभणी के शोध मार्गदर्शन में पीएचडी उपाधि हेतु “हिंदी ग़ज़ल साहित्य मे व्यवस्था विरोधी स्वर : अदम गोंडवी के विशेष संदर्भ मे” इस शोध शीर्षक से अपना शोध प्रबंध महाराष्ट्र के नांदेड स्थित स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा विश्वविद्यालय मे प्रस्तुत किया था। जिसकी दिनांक 31 मई 2022 मंगलवार को मुख्य मौखिकी परीक्षा दोपहर 12:30 से 2:30 सम्पन्न होकर विश्वविद्यालय द्वारा शोधकर्ता आनंद देवगिरि गिरी को हिंदी साहित्य में विद्यावाचस्पति(Ph.D.)उपाधि प्रदान की गयी। इस समय विश्वविद्यालय के मानव्य विद्यशाखा के अधिष्ठाता(डीन)डॉ. अजय टेंगसे, भाषा,साहित्य एंव संस्कृति संकाय की संचालिका प्रोफेसर डॉ. शैलजा वाड़ीकर,बहिस्थ पर्यवेक्षक डॉ. बाबासाहब अम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय औरंगाबाद के प्रोफेसर डॉ. वंदन जाधव तथा शोध मार्गदर्शक प्रोफेसर डॉ. संजय जाधव के साथ ही हिंदी के अनेक प्राध्यापक एंव शोधछात्र भी उपस्थित थे।इस महत्वपूर्ण उपलब्धि हेतु शोधछात्र आनंद गिरी का सभी गुरुजनों, मित्रों के साथ ही अदम गोंडवी के उत्तराधिकारी श्री.दिलीप गोंडवी जी ने भी हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए अभिनंदन किया है। भविष्य में उनके सुयश की कामना व्यक्त की है। आनंद गिरी से हुए वार्तालाप में उन्होंने ग़ज़लकार अदम गोंडवी को हिंदी ग़ज़ल साहित्य में दुष्यंतकुमार के बाद विषम एंव विकृत व्यवस्था का सबसे बड़ा विद्रोही ग़ज़लकार होने की बात की बात कही है।
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