शौचालय निर्माण व आवास में धांधली , आक्रोशित ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन, प्रधान प्रतिनिधि पर लगे गम्भीर आरोप।
केंद्र व प्रदेश सरकार आम जनता को सुविधा देने का चाहे जितना प्रयाश भले ही कर रही हो, कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से उनका जीवन स्तर सुधारने का कितनी भी कोशिश कर रही हो, लेकिन स्थानीय स्तर पर विचौलियों की वजह से जरूरतमंद को उसका समुचित लाभ नही मिल पाता, या यों कहें कि ये सरकारी योजनाएं पात्रो तक पहुँचते पहुँचते भृष्टाचार की आँच में झुलस जाती हैं।
इसका जीता जागता उदाहरण विगत दिनों कटरा ब्लाक में अपर आयुक्त मनरेगा की जाँच में पकड़ा गया प्रदेश का बड़ा घपला, करनैलगंज ब्लाक अंतर्गत शीशामऊ गाँव मे वगैर पुलिया निर्माण के धन निकासी का मामला है। तो वहीँ करनैलगंज ब्लाक अंतर्गत ग्राम पंचायत धनावा भी इससे अछूता नहीं है।
धनावा गाँव में भी भृष्टाचार का मामला प्रकाश में आया है, गाँव के ग्रामीणों ने प्रधान प्रतिनिधि पर शौचालय निर्माण पीएम आवास आवंटन व निर्माण आदि मामलो में गरीब व भोलेभाले पात्र लोगो से अवैध उगाही व अभद्रता का आरोप लगाते हुये,प्रदर्शन किया और जिले के उच्चाधिकारियों को शिकायती पत्र देकर पूरे मामले की जांच की मांग की है। अब देखना यह है , कि प्रशासन पीड़ित ग्रामीणों को कहाँ तक न्याय दिलाने में कारगर सावित होता है।
केंद्र व प्रदेश सरकार आम जनता को सुविधा देने का चाहे जितना प्रयाश भले ही कर रही हो, कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से उनका जीवन स्तर सुधारने का कितनी भी कोशिश कर रही हो, लेकिन स्थानीय स्तर पर विचौलियों की वजह से जरूरतमंद को उसका समुचित लाभ नही मिल पाता, या यों कहें कि ये सरकारी योजनाएं पात्रो तक पहुँचते पहुँचते भृष्टाचार की आँच में झुलस जाती हैं।
इसका जीता जागता उदाहरण विगत दिनों कटरा ब्लाक में अपर आयुक्त मनरेगा की जाँच में पकड़ा गया प्रदेश का बड़ा घपला, करनैलगंज ब्लाक अंतर्गत शीशामऊ गाँव मे वगैर पुलिया निर्माण के धन निकासी का मामला है। तो वहीँ करनैलगंज ब्लाक अंतर्गत ग्राम पंचायत धनावा भी इससे अछूता नहीं है।
धनावा गाँव में भी भृष्टाचार का मामला प्रकाश में आया है, गाँव के ग्रामीणों ने प्रधान प्रतिनिधि पर शौचालय निर्माण पीएम आवास आवंटन व निर्माण आदि मामलो में गरीब व भोलेभाले पात्र लोगो से अवैध उगाही व अभद्रता का आरोप लगाते हुये,प्रदर्शन किया और जिले के उच्चाधिकारियों को शिकायती पत्र देकर पूरे मामले की जांच की मांग की है। अब देखना यह है , कि प्रशासन पीड़ित ग्रामीणों को कहाँ तक न्याय दिलाने में कारगर सावित होता है।
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