एक पेड़ मॉ के नाम लगाने की आमजन से की अपील
बहराइच । मा. मंत्री, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (वन्यजीव प्रभाग) भारत सरकार श्री भूपेन्द्र यादव ने प्रदेश के मा. राज्यमंत्री, वन, पर्यावरण, जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग श्री के.पी. मलिक, सांसद बहराइच डॉ. आनन्द कुमार गोंड, महानिदेशक वन एवं विशेष सचिव, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार सुशील कुमार अवस्थी व अपर महानिदेशक (वन्यजीव )पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार, रमेश कुमार पाण्डेय, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागाध्यक्ष वन विभाग उ.प्र. सुनील चौधरी सहित अन्य अधिकारियों के साथ कतर्नियाघाट की लाईफ लाइन गेरूआ नदी में नौका विहार किया तथा घड़ियाल के एक वर्षीय बच्चों को नदी की जल धारा में छोड़कर घड़ियाल प्रजाति संरक्षण कार्यक्रम का श्रीगणेश किया। वन मंत्री श्री यादव ने कहा कि वन और वन्यजीव इस धरती की प्राकृतिक धरोहर है। वनों और वन्यजीवों से पारिस्थितिकीय संतुलन बना रहता है, जो मानव जीवन को समृद्ध और सुखमय बनाते हैं। भारत में विभिन्न प्रजातियों के कई वन्यजीवों का वास है। वन्यजीव भी प्राणी हैं। उन्होंने कहा कि दुधवा टाईगर रिज़र्व के भ्रमण के दौरान उन्होंने जनप्रतिनिधियों, विभागीय अधिकारियों, कन्जर्वेशन के लिए कार्य करने वाले गैर सरकारी संगठनों तथा वन क्षेत्रों के आस-पास स्थित ग्रामवासियों के साथ बैठके की है जिसमें 25 से 30 सुझाव प्राप्त हुए। उन्होंने कहा कि प्राप्त हुए सुझावों को शामिल करते हुए वन एवं वन्यजीवों के विकास एवं संरक्षण की कार्ययोजना तैयार की जायेगी ताकि मानव व वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में कमी लायी जा सके।
वन मंत्री श्री यादव ने कहा कि देश के मा. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी व प्रदेश के मा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी का विजन है की समुदाय आधारित विकास हो और लोग हेल्दी इन्वायरमेंट में स्वस्थ जीवन जी सकें। उन्होंने कहा कि नाना प्रकार पर्यावरर्णीय समस्याओं के सरल समाधान के रूप में हमें अधिक से अधिक पौध रोपित करने होंगे। श्री यादव ने लोगों का आहवान किया कि एक पेड़ के नाम अवश्य लगायें। घने वनों, कल-कल, छल-छल करती अथाह जलराशि से पूरित नदियों, सुन्दर मनोहारी वन्य जीवों, पशु पक्षियों के कलरव से गुंजित भू-भाग पर फैले कतर्नियाघाट को अत्यन्त सुन्दर व अद्वितीय स्थान बताते हुए कहा कि यहां का अनुभव उनके लिए अविस्मरणीय अनुभव है। उन्होंने कहा कि वह प्रदेश के ऐसे स्थानों के विकास के लिए प्रदेश सरकार व मा. मुख्यमंत्री से विचार-विमर्श करेंगे। कतर्नियाघाट अच्छी कनेक्टिविटी व अनोखे हैबीटेट के कारण प्राकृति प्रेमियों के बीच अत्यन्त लोकप्रिय स्थान है। वन मंत्री ने कहा कि बाघ, हाथी व गैंगटिक डॉल्फिन इत्यादि वन्यजीवों के संरक्षण के पूर्व से परियोजनाएं संचालित है। गेरूआ नदी में घड़ियाल के बच्चों को छोड़कर घड़ियाल प्रजाति संरक्षण कार्यक्रम की शुरूआत की जा रही है। श्री यादव ने आमजन से अपील की कि वन एवं वन्यजीवों के संरक्षण में सक्रिय सहयोग प्रदान करें। श्री यादव ने बताया कि विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि मुआवज़े से सम्बन्धित प्रकरणों समयबद्ध कार्यवाही करें ताकि पीड़ित पक्ष को सहायता मिलने में विलम्ब न होने पाये। कतर्नियाघाट के भ्रमण के दौरान वन मंत्री श्री यादव ने इन्टरप्रिटेशन सेन्टर में स्पेशल टाईगर प्रोटक्शन फोर्स के जवानों के संवाद कर संचालित गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान की तथा जंगल गश्त हेतु किट का वितरण किया।इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) अनुराधा वेमुरी, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (प्रोजेक्ट टाइगर) ललित वर्मा, सहायक महानिदेशक, पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार राकेश कुमार जोगनिया, संयुक्त निदेशक, वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो नई दिल्ली डॉ कृपाशंकर, फील्ड डायरेक्टर दुधवा एच. राजामोहन, प्रभागीय वनाधिकारी कतर्नियाघाट बी. शिवशंकर, उप जिलाधिकारी मिहींपुरवा प्रकाश सिंह, डब्लू.डब्लू.एफ. इण्डिया के को-आर्डिनेटर आशीष विष्टा, वरिष्ठ परियोजना अधिकारी दबीर हसन, पशु चिकित्साधिकारी डॉ. दीपक सहित अन्य सम्बन्धित लोग मौजूद रहे।
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