मौलाना हैदर मेंहदी ने कहा कि कर्बला का हर किरदार मिसाली व बेनजीर है। मौला अब्बास ने पूरा जीवन खुद को नवासए रसूल इमाम हुसैन का गुलाम समझा। कर्बला के मैदान में हर कदम पर इमाम के निर्देशों का पालन किया। शक्तिशाली होने के बाद भी यजीदी जुल्म के खिलाफ सब्र किया। इमाम के वफादार बने रहे। एक भाई के तौर पर मौला अब्बास का जीवन समाज के लिए नजीर है।
मौलाना अली हसन ने कहा कि पैगम्बर की वफात के बाद जिस तरह से इस्लाम का लबादा ओढ़े सामंतवादी , मुसलमानों पर ही जुल्म ढा रहे थे। पैगम्बर के बताए दीन को बदनाम कर रहे थे। ऐसे लोगों को इमाम ने कर्बला के मैदान में बेनकाब किया। इसी के साथ दुनिया के सामने अपने नाना पैगम्बर-इस्लाम का जीवन पेश किया। कहा कि दुनिया को हर दाढ़ी वाले को मुसलमान नहीं समझ लेना चाहिए।
आजम सुल्तानपुरी, अली हसन जाफर बंधु उतरौलवी, जौन गोपालपुरी, सुहेल बस्तवी, फरजान हल्लौरी, रमीज बस्तवी, कामिल जैदपुरी व अन्य ने कलाम पेश किया। संचालन अर्शी मौलाई ने किया। कार्यक्रम के बाद परीक्षाओं में सर्वाधिक अंक हासिल करने वाले छात्र-छात्राओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
इस मौके पर शमसुल हसन काजमी, हाजी अनवार काजमी, जीशान रिजवी, शबीब हैदर, शम्स आबिद अली, तकी हैदर, नकी हैदर, आले मुस्तफा, मुन्ने, राजू, जैन, हसनैन रिजवी, काजिम रिजवी, वासन, बब्लू, जावेद, नजफी, साजिद हसन आदि मौजूद रहे।
रुधौली बस्ती से अजय पांडे की रिपोर्ट
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