Breaking






Nov 4, 2022

जन-जन के प्रिय बने डीएम डा.दिनेश चन्द्र योगी के फरमान को डीएम ने चढ़ाया परवान कर्मनाशा के प्रहार में डा.चन्द्र साबित हुए तारनहार


बहराइच। ’’वह पथ और पथिक कुशलता क्या, जिसमें बिखरे तो शूल न हो, नाविक की धैर्य परीक्षा क्या जब धाराएं प्रतिकूल न हो ’’ यह पंक्तियां जिलाधीश डा. दिनेश चन्द्र पर निःसंदेह फिट बैठती है। किसी के ठाठ निराले होते है, किसी के बात निराले होते है। वहीं इस सबसे इतर तरूण हृदय सम्राट श्री चन्द्र के काम निराले होते है। जिलाधिकारी डा.दिनेश चंद्र ने जनपद को जिस चर्तुदिश विकासोउन्मुखी क्षितिज पर लाने का जो सार्थक प्रयास किया है वह काबिले तारीफ है। केन्द्र और प्रदेश सरकार की स्वप्निल योजनाओं को धरातलीय स्तर पर शत-प्रतिशत साकार कर अपने दृढ़ इच्छा शक्ति का प्रदर्शन किया। विषम विपरीत परिस्थितियां भी दिनेश चन्द्र के लक्षित लक्ष्य को पूर्णाहुति से पहले और बाद तक डिगा नहीं पाई। बात बाढ़ त्रासदी की आती है तो इस सूरमा का पराक्रम र्शार्य के सुनहरे लोक गाथाओं में सुमार हो गई।

सूबे के सीएम के फरमान को चढ़ाया परवान

ईसा, हिजरी और इतिहास साक्षी है कि कोरोना त्रासदी ने समूचे मानव जगत को इतना व्यवस्थित किया जितना कभी नहीं हुआ। मानव जीवन असहज हो गया। विकास की गतिहीन सरीखी हो गई। एक आपदा को गुजरे कुछ ही माह-वर्ष बीते थे। त्रासदी की यादों के जख्म भरे भी नहीं थे कि इन्द्र देवता अकारण अचानक कुपित हो गए। गिर शिख पर मेघ मल्हारों के डरावनी भयावह व क्रूर हठखेलियों से विपुल जल सैलाब आ गया। इस अप्रत्याशित जल प्लावन से चहुंओंर करूण चीख पुकार मच गया। बाढ़ की विनाशलीला ने यूपी के तराई इलाकों को अपने बाहुपाश में जकड़ लिया। घाघरा, सरयू, अचिरावती व शारदा की सिरियायी लहरों ने बहराइच के दोआब क्षेत्र को तबाही के मंजर में तब्दील कर दिया। हालात खौफनाक हो गए। गांव-गांव में नाव। सिवानों में स्टीमर, घरों व चूल्हों में कमर ऊपर तक पानी। मानव और मवेशियों के लिए क्षुधा तृप्त के रास्ते अवरूध हो गए। डीएम डा.दिनेश चन्द्र अपने रियाया के लिए संसाधनों को ढाल बनाकर त्रासदी के विरूद्ध जग-ए-एलान कर दिया। सूबे के सीएम योगी ने भी पीडितों के लिए सूबे का खजाना खोल दिया। जिलाधिकारियों को फौरी राहत पहुंचाने के लिए आदेश दिया। आपदा से निपटने के लिए जिलाधिकारी दिनेश चन्द्र के हौसला अफजाई से जनपद की सरकारी मिशनरिया सक्रिय हो गई। डीएम के मार्मिक अपील का नतीजा रहा कि दानवीरों के भी हाथ बढ़ गए। जिससे जो बना बाढ़ पीडि़तों को तहे दिल इमदाद दिया। इस विपदा के जदोजेहाद के बीच डीएम का सम्भाव, दृढ़इच्छा शक्ति का शक्तिपात पीडि़त जरूरतमंदों के लिए पारिजात बना। बाढ़ में घिरें प्रत्येक बाल, युवा, वृद्धजन को भूखें नहीं सोने दिया। इन्हें पर्याप्त मात्रा में सूखे पौष्टिक आहार, पूड़ी सब्जी, शुद्ध पेयजल, प्रकाश व सुरक्षा के पक्का पुख्ता इन्तेजमात की मुक्कमल व्यवस्था को अमली जामा पहनाया। दिन रात क्षेत्रों में सैकड़ों लंगर चले। अनबोलते मवेशियों को सुरक्षित पनहगार पर पहुंचाकर डीएम ने उनके भरपेट चारा मयस्सर कराया। इस करूण भंवर में सबसे अनोखी, सबसे अलौकिक बात तो यह रही कि जिलाधिकारी अपने सार्गिदों, मातहतों को दिशा निर्देश देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कदापि नहीं होने दिया। अपितु वे स्वयं अर्जुन की तरह विपत्ति रण क्षेत्र में रियाया के सुखद भविष्य का रक्षण करके स्वयं कमान सम्हाले रहे। पूरे त्रासदी काल में जैसे असहज स्थिति में पीडि़तों की करूण पुकार, त्राहिमाम का अवसाद उनके छवि पटल को कचोटता रहा। वे दिन रात पूरी ऊर्जा पीडि़तों को समर्पित करते रहे।

गांवों की निगेहबानी, साइकिल की सवारी से हर दिल अजीज रहे श्री चन्द्र

’कोई न जाने अंर्तमन में, कितने जख्म छिपाये है! मुस्कानों की घूघट पीछे, छिपकर अविरल अश्रु बहाये है‘। पीडि़तों की इस वेदना का भान डा.दिनेश चन्द्र को सदैव सालता रहा। दरिया के मदमाती विपुल जल प्रवाह ने किसानों के खून पसीने से अभिसिंचित लहलहाती फसलों को निगल कर उन्हें यतीम बना दिया। अर्श से फर्श पर पटक दिया। इन्हीं फसलों के स्वप्निल सपनों पर पता नहीं कितनी मुन्नियों के हाथ पीले की ख्वाहिशें बालू की भीति की भांति ढह गई। हाथ की मेंहदी, पैर का महावर, शादी की शहनाईयां की अभिलाषा फिलहाल साल भर के लिए दरिया के करकस कोख में समा गई। जिलाधिकारी बाढ़ के बाद भरथा जैसे दुर्गम गांवों का दौरा किया। उनकी यहां की साइकिल सवारी यात्रा बाढ़ पीडि़तों के समक्ष रूबरू होकर कुशल क्षेम पूछना उनके मौलिक समस्याओं का त्वरित निदान करना सुखद इतिहास के झांकी का साक्षी बना। किस्ती पर दरिया पार करना, साइकिल यात्रा ने उन्हें हर दिल अजीज बना दिया।

करूण कृष्णकान्त नैयर की यादे ताजा कर गए डीएम श्रीचन्द्र

गुजरे जमाने की बात है जन्मभूमि मुद्दे को लेकर विश्व पटल पर चर्चा में आए तत्कालीन फैजाबाद कमिश्नर के.के.नैयर एवं उनकी धर्म पत्नी शकुन्तला नैयर दोनों क्रमशः बहराइच एवं कैसरगंज से सांसद थे। बाढ़ की त्रासदी से प्रभावित गांवों का यह कपुल दौरा कर रहे थे। किस्ती पर सवारी होने के लिए घाघरा नदी में बढ़ रहे थे उनकों जल के गहराई का अनुमान नहीं था थोड़े गहरे पानी की खाई में श्री नैयर का पैर पड़ने से शरीर का संतुलन बिगड़ गया। वे पानी में भीग गए और गिरते-गिरते बचे। तो पास में शकुन्तला नैयर मुस्कुरा दी। तो नैयर साहब ने बड़े सलीके से फब्ती कसी ‘ मेरी हालत पर दुनिया हंसे तो हंसे पर तेरा मुस्कुराना मुनासिब नहीं!’’ ऐसा ही वाकया हुआ डीएम डा.दिनेश चन्द्र के साथ। जब किस्ती की तरफ बढ़ने के आपाधापी में नदी के खाई की ओर बढ़कर पानी में लडखड़ा कर भींग गए।


No comments: