ज़िला प्रशासन ने खरीफ फसल के संभावित नुकसान का आंकलन कृषि, सिंचाई व राजस्व विभाग से कराकर सूखाग्रस्त ज़िला घोषित करने की रिपोर्ट शासन को भेज दिया है। अब क्षेत्रवार फसल नुक़सान की विस्तृत आख्या तैयार करने में आपदा प्रबंधन विभाग को लगाया गया है। जिले में अभी तक होने वाली औसत बरसात का मानक भी पूरा नहीं हो सका है। अभी तक मात्र 30 फीसदी बारिश हुई है जबकि सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए 44 फीसदी या इससे कम बरसात होने का मानक है। ऐसे में किसानों के साथ ही जनप्रतिनिधियों ने भी सरकार से ज़िले को सूखाग्रस्त जनपद घोषित कराने की मांग की है। जिला कृषि अधिकारी मनीष कुमार सिंह ने बताया कि जिले में कितनी बरसात हुई इसका आंकड़ा प्रतिमाह शासन को भेजा जाता है। इसके आधार पर ही सरकार के स्तर पर मिलने वाली मदद का निर्धारण होता है। फिलहाल अगस्त माह चल रहा है। उम्मीद है कि बरसात का औसत बढ़ने से किसानों को राहत मिल सके। बताया कि जिले में बुवाई की गई फ़सलों के लिए अब तक सात सौ मिलीमीटर बारिश हो जानी चाहिए थी। उसके सापेक्ष पूरे जिले में मात्र 2.09 फीसद ही बारिश हुई है। यह औसत बरसात का तीस प्रतिशत भी नहीं है।
ज़िला प्रशासन ने जिले में हुई वर्षा को आधार बनाते हुए आंकलन रिपोर्ट का प्रस्ताव तैयार कराकर शासन को भेज दिया है। फसलों के नुकसान पर क्षेत्रवार विस्तृत आख्या तैयार कराने के लिए निर्देश आपदा प्रबंधन विभाग के दे दिया गया है। सूखाग्रस्त ज़िला होने के कई मानक होते हैं। जिसमें बारिश कम होने के साथ क्षेत्र में रकबे के आधार पर कितनी फसल बोयी गई इसके प्रतिशत का भी उल्लेख किया जाना जरूरी है। इसीलिए विस्तृत आख्या जरूरी है।
रुधौली बस्ती से अजय पांडे की रिपोर्ट
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