अंगूरा देवी का कहना है कि पुरूष प्रधान देश में यह मान लिया गया था कि परिवार नियोजन की जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं की है। पुरूष नसबंदी की कोई बात नहीं करना चाहता। इसी जड़ता को तोड़ने की जरूरत है। उन्होंने सर्वप्रथम अपने पति रामविलास की नसबंदी कराकर नजीर पेश की।
आशा अंगूरा देवी ने बताया कि जिस परिवार में दो बच्चे हो जाते हैं, वह उस परिवार के पुरूष से पहले बात करती हैं। उससे पहला सवाल करती है कि क्या वह पत्नी को चाहता है। जवाब हां में मिलने के बाद सबसे पहले उन्हें बताती हैं कि पत्नी के स्वास्थ्य व सुखी जीवन के लिए परिवार नियोजन जरूरी है। दो बच्चों के बाद स्थायी परिवार नियोजन अपनाना बेहतर होता है।
परिवार में दो बच्चों के खान-पान पर जहां ज्यादा ध्यान दे सकते हैं, वहीं इनकी शिक्षा भी अच्छी हो सकती है। स्वस्थ बच्चे बीमार कम पड़ते हैं, जिससे उन पर दवा आदि का खर्च कम आता है। किसानी वालों को समझाते है कि बड़े परिवार में बंटवारे के बाद खेती की जमीन का भी संकट हो जाता है। इन बातों का असर पुरूषों पर पड़ रहा है, जिससे वह नसबंदी के लिए राजी हो जा रहे हैं। हर धर्म व वर्ग के लोग नसबंदी को अपना रहे हैं।
बांकेचोर निवासी रामसूरत ने बताया कि उनके दो बच्चे हैं। छोटा बच्चा दो साल का है। वह मजदूरी करते हैं। आशा अंगूरा देवी के समझाने के बाद उन्हें छोटे परिवार का महत्व समझ में आया। झिझक इस बात को लेकर थी कि नसबंदी के बाद शरीर कमजोर हो जाएगा। मजदूरी नहीं कर पाएंगे तो परिवार का खर्च कैसे चलेगा। आशा ने समझाया कि यह सब भ्रम है। उन्होंने अपने पति की स्वंय नसबंदी कराई है, उन्हें किसी तरह की समस्या नहीं हुई।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के जिला कार्यक्रम प्रबंधक बताते हैं कि जनपद मिशन परिवार विकास में शामिल है। पुरुष नसबंदी के लाभार्थी के खाते में तीन हजार रुपए भेजे जाते हैं। नसबंदी के लिए प्रेरित करने वाले को भी प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। गैर सरकारी व्यक्ति के अलावा अगर आशा, एएनएम और आंगनबाड़ी पुरुष नसबंदी के लिए प्रेरित करती हैं तो एक केस पर उन्हें 400 रुपए का भुगतान किया जाता है।
नसबंदी विफल होने की दशा में लाभार्थी को 60,000 रुपए का भुगतान किया जाता है। नसबंदी कराने के सात दिनों के अंदर अगर मृत्यु होने पर चार लाख रुपए, आठ से 30 दिन के अंदर मृत्यु होने की दशा में एक लाख रुपए की धनराशि दिए जाने का प्रावधान है। 60 दिनों के अंदर जटिलता होती है तो इलाज के लिए 50 हजार रुपए तक की धनराशि दी जाती है।
रुधौली बस्ती से अजय पांडे की रिपोर्ट
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