जिले में धान, गन्ना, परवल, तोरई व लालमिर्च के सामान्य बुवाई का क्षेत्रफल 140460 हेक्टेयर है। इसके सापेक्ष 132033 हेक्टेयर की हुई बुवाई हुई। शुरूआती दौर में कम वर्षा होने के चलते कुछ किसानों ने धान की फसल लगाने से परहेज किया और 8790 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर फसल नहीं लगाया। मानसून सीजन में सामान्य से काफी कम वर्षा हुई। कभी-कभार कुछ क्षेत्रों में बरसात हुई तो कुछ क्षेत्र पानी की एक बूंद के लिए तरसते रहे। धान की नर्सरी बचाने, बुवाई कराने से लेकर फसल बचाने की जद्दोजहद करता किसान विफल हुआ, जिसका परिणाम हुआ कि धान सहित कई फसलें खेत में सूख गई।
शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन फसल के नुकसान का आंकलन करने के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम को मैदान में उतारा। टीम ने सर्वे कर रिपोर्ट तैयार किया, जिसे जिला प्रशासन ने शासन को भेज दिया है। शासन को भेजे गए आंकड़े में 77761 हेक्टेयर फसल पूरी तरह से सूखा प्रभावित है तो 12638 हेक्टेयर फसल 33 से 50 प्रतिशत तक प्रभावित हुई है। सबसे अधिक नुकसान धान की फसल को हुआ है। जो वास्तविक बुवाई 131707 के सापेक्ष 77634 हेक्टेयर है।
जिन किसानों ने किसी तरह से सिंचाई कर अपनी फसल को बचाने के लिए प्रयास किया है, उन्हें झटका लगने वाला है। कृषि विभाग के आंकड़ों की मानें तो उन्हें सामान्य से 35 प्रतिशत कम उत्पादन होने की संभावना है। धान की सामान्य पैदावल प्रति हेक्टेयर 2.48 टन होती है, जो सूखे के चलते 1.66 टन प्रति हेक्टेयर संभावित है। गन्ना की फसल 2.49 टन प्रति हेक्टेयर की जगह पर 1.49 टन, तोरई की फसल 4.5 टन प्रति हेक्टेयर की जगह पर 4 टन, परवल की फसल 2.53 टन प्रति हेक्टेयर की जगह पर 2.04 टन तथा लालमिर्च की फसल 2.39 टन प्रति हेक्टेयर की जगह 2.03 टन होने की संभावना है। गन्ने की फसल अंतिम दौर में होने वाली तेज वर्षा व हवा के चलते गिरती है तो उसका उत्पादन और घट सकता है।
रुधौली बस्ती से अजय पांडे की रिपोर्ट
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