विद्युत निगम के जिम्मेदार बताते हैं कि बढ़िया वोल्टेज के लिए जमीन में नमी का होना जरूरी है। जमीन में जितनी बढ़िया नमी रहेगी अर्थिंग उतनी बढ़िया मिलेगी। उपभोक्ताओं को लो वोल्टेज का सामना नहीं करना पड़ेगा। 33/11 केवी विद्युत उपकेंद्रों को ट्रांसमिशन से बिजली मिलती है। उपकेंद्रों से निकलने वाली 11 हजार लाइन में पूरे वोल्टेज नहीं आ रहे हैं।
अवर अभियंता जितेंद्र मौर्या ने बताया कि 11 हजार लाइन में आजकल 9.5 से 9.8 हजार वोल्टेज ही मिल पा रहा है। जबकि 11 हजार वोल्टेज मिलना चाहिए। उपकेंद्र पर लगाए गए पावर ट्रांसफार्मर की अर्थिंग में रोज पानी डालना पड़ रहा है, ताकि वोल्टेज पूरा मिले। इसके बावजूद निर्धारित वोल्टेज नहीं पा मिल रहा है। जब तक बढ़िया बारिश नहीं होगी, तब तक वोल्टेज में सुधार के आसार कम नजर आ रहे हैं। बारिश होने पर बिजली की खपत भी कम हो जाएगी।
ट्रांसमिशन से ही मिल रही कम वोल्टेज की बिजली
सहायक अभियंता ट्रांसमिशन एसके सिंह बताते हैं कि जमीन में नमी कम होने के कारण अर्थिंग ठीक से काम नहीं कर पा रही है। ट्रांसमिशन में स्थापित उपकरणों की अर्थिंग में प्रतिदिन पानी डाला जा रहा है। इसके बावजूद 33 केवी लाइन में 29.30 से 30 केवी तक ही करंट मिल रहा है। आजकल 250 से 315 मेेगावाट बिजली की खपत प्रतिदिन हो रही है। उन्होंने बताया कि अर्थिंग को बरकरार रखने के लिए मुख्य ट्रांसमिशन के पास 70 से 80 फीट गहरा गड्ढा बनाया जाता है। पर्याप्त बारिश होने पर इस गड्ढे में पानी स्टोर कर लिया जाता है। इसमें लगी मशीनों से साल भर अर्थिंग बनाए रखता है।
रातभर बिजली कटौती से उपभोक्ता त्रस्त
उमस भरी गर्मी में बिजली कटौती से उपभोक्ता परेशान हैं। दिन तो किसी तरह गुजर जाता है, लेकिन रात में उपभोक्ताओं की मुश्किल बढ़ जाती है। कटौती का सिलसिला शाम होते ही शुरू हो जाता है और देर रात तक चलता है। शहर मालवीय रोड निवासी पीके श्रीवास्तव का कहना है कि रातभर बिजली कटती रहती है। ग्रामीण उपभोक्ता प्रिंस, बबलू आदि ने बताया कि रात में आधा दर्जन बार बिजली की कटौती की जाती है। विद्युत निगम के अधीक्षण अभियंता सुशील कुमार आर्या ने बताया कि गर्मी में फाल्ट की समस्या अधिक आ रही है। इससे ठीक करने के लिए बार-बार शटडाउन लेना पड़ रहा है, इसलिए कटौती हो रही है।
रुधौली बस्ती से अजय पांडे की रिपोर्ट
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