Jul 26, 2025

कर्नलगंज:साहित्यिक संस्था बज्मे गजल का मनकबती मुशायरा सम्पन्न,

करनैलगंज /गोण्डा - साहित्यिक संस्था बज़्मे शामे ग़ज़ल का मनकबती मुशायरा (मुसालमा) हाजी यासीन मंज़िल बालूगंज में आयोजित हुआ । सग़ीर अहमद सिद्दीक़ी की मेज़बानी में कार्यक्रम की अध्यक्षता उनूद चिश्ती और संचालन याकूब सिद्दीक़ी 'अज़्म' ने किया । उर्दू डेवलपमेंट आर्गनाइजे़शन मुज़फ्फरनगर के अध्यक्ष अल्ताफ उर रहमान 'कलीम त्यागी' मुख्य अतिथि रहे , जबकि मन्ज़ूर बहराइची व नज़र बहराइची मेहमान शायर के तौर पर शामिल हुए । महामंत्री मुजीब सिद्दीक़ी ने  अपने वक्तव्य में कहा कि जितना कर्बला पर लिखा गया है, उतना शायद ही किसी वाक़ये पर लिखा गया हो । संरक्षक गणेश तिवारी 'नेश' ने खिलाफते राशिदा से कर्बला तक के हालात को बयान किया । संरक्षक अब्दुल गफ्फार ठेकेदार ने कहा कि 'कलीम त्यागी' साहब के आने से महफ़िल में चार चांद लग गये हैं । मुख्य अतिथि ने संस्था के साहित्यिक योगदान की सराहना की । आग़ाज़ हाफिज़ निजामुद्दीन 'शम्स' ने तिलावते कुरआन से किया तत्पश्चात इरफान मसऊदी  ने नात और सग़ीर सिद्दीक़ी ने पूर्व अध्यक्ष हाजी शब्बीर 'शबनम' का सलाम पेश किया । 
मुजीब सिद्दीक़ी ने हज़रत इमाम को समर्पित किया - करीम ऐसे कि दुश्मन को भी किया सैराब - रहीम ऐसे कि रहमत का  सिलसिला हैं हुसैन ।
हाजी नियाज़ 'कमर' ने कहा - दामन पे दाग़ जिन के है खूने हुसैन का - जायेंगे कैसे शाफए महशर के सामने । 
अनीस ख़ां आरिफी ने यूं अज़मत बयान की - दिले नबी के सुकूनो क़रार ज़िन्दाबाद - शहीद हो के दिलों में समा गये हैं हुसैन ।
मन्ज़ूर बहराइची ने सावधान किया - ख़ुदा के वास्ते रहिएगा दूर तुम उनसे - जो लोग तन के तो उजले हैं मन के काले हैं 
नज़र बहराइची ने बताया - कदमों को चूमती है ये मंज़िल बस इस लिए - मोमिन की ज़िन्दगी का तरीक़ा हुसैन हैं ।
एडवोकेट वीरेंद्र तिवारी 'बेतुक' ने कहा - मार कर असगर को दुश्मन ने किया दुष्कर्म है - शर्म खाती है ख़ता , ऐसी ख़ता के सामने । 
मुबीन मंसूरी ने दावा किया - सैरे आ़लम करके देखें आप तो मिल जायेंगे - दुनिया की हर क़ौमो मिल्लत में वफादारे हुसैन । 
कौसर सलमानी ने यह तुलना की - वो बाबे शहरे ज़ुल्म था ये बाबे शहरे इल्म - ख़ैबर की क्या बिसात है हैदर के सामने ।
साबिर अली गुड्डू ने इमाम की फज़ीलत बयान की - फातिमा सी मां, फिदर हैदर सा और नाना नबी - शाहे दीं को देखिए कितनी फज़ीलत मिल गई ।
हस्सान जलालपुरी ने ज़ोर देकर कहा - हंसते न अगर तीरों की ज़द पर अली असगर - फूलों को भी खिलने की इजाज़त नही होती ।
यासीन राजू अंसारी ने फख्र से कहा - हम दरे आले नबी के हो गए जिस दम फ़कीर - यूं लगा दोनों जहां की बादशाहत मिल गई । 
अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा - अच्छाई और बुराई को आईना कर गये - तहरीर मेरे दिल पे है इबरत हुसैन की ।
इमरान मसऊदी ने कहा - होगी अब इमरान खुशबूदार अपनी ज़िन्दगी - बाग़े ज़हरा के गुलों की हमको निकहत मिल गई ।
अल्हाज गोंडवी ने कहा - नहर पे कट गये अब्बासे जरी के बाज़ू - बरछी अकबर के कलेजे में उतर आई है ।
         साथ ही सलीम बेदिल, अलीम जरवली, एडवोकेट अब्दुल हक़ बहराइची ने कलाम पेश किये । 
इस अवसर पर क़य्यूम सिद्दीक़ी , हाजी वसीम अहमद , हरीश शुक्ल , मास्टर शफीक़ , मुश्ताक अहमद , तौकीर राजू , खुर्शीद आलम , मास्टर रजा , आदिल असलम , हाफिज़ मुख़्तार अंसारी , मो० ताहिर , हिसामुद्दीन , अनीस कुरैशी , अशरफ सिद्दीक़ी , दानिश अंसारी , मेराजुद्दीन , अबू सहमा , मुनव्वर फारुकी सहित उपस्थित रहे । 
सलाम व दुआ के बाद सग़ीर सिद्दीक़ी ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।

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