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Mar 28, 2024

पर्यावरण अनुकूल चुनाव की दिशा भारत निर्वाचन आयोग ने बढ़ाये कदम

 पर्यावरण अनुकूल चुनाव की दिशा भारत निर्वाचन आयोग ने बढ़ाये कदम

बहराइच । भारत निर्वाचन आयोग भी चुनाव में गैर-जैवनिम्नीकरणीय सामग्रियों के उपयोग के कारण होने वाले पर्यावरणीय खतरों के मुद्दे पर बहुत चिंतित है। इस सम्बन्ध में आयोग द्वारा राजनीतिक दलों के साथ-साथ मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को भी पर्यावरण अनुकूल चुनाव की दिशा में आवश्यक कदम उठाने के लिए एडवाईजरी जारी की गई है। इस नेक उद्देश्य के लिए क्या करें और क्या न करें का दायरा बढ़ाया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत राजनीतिक दलों के साथ-साथ चुनाव पदाधिकारियों द्वारा चुनाव सामग्री में प्लास्टिक का उपयोग न करने से लेकर विभिन्न चरणों जैसे कि चुनाव पूर्व, प्रचार, मतदान, मतगणना आदि के दौरान सामग्री की छपाई और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे कार्य और पुस्तकों की भौतिक छपाई को कम करने और समय-समय पर ईसीआई द्वारा जारी सामग्री अनुदेशों की छपाई में पर्यावरण अनुकूल उपायों को बढ़ावा देने के लिए एडवाईज़री जारी की गई है। आयोग द्वारा सुझाव दिया गया है कि सभी चुनाव प्रक्रियाओं और आयोजनों में केवल पर्यावरण अनुकूल सामग्रियों का उपयोग करें और सिंगल यूज प्लास्टिक से पूरी तरह बचा जाये। विभिन्न प्रकार के कचरे का पृथक्करण सुनिश्चित करते हुए मतदान केंद्रों और अभियान कार्यक्रमों में भिन्न-भिन्न प्रकार के कचरे के लिए अलग-अलग संग्रह डिब्बे की व्यवस्था के साथ-साथ स्पष्ट और दृश्यमान संकेतक स्थापित करना चाहिए ताकि लोगों को उपरोक्त प्रकार के कचरे, जैसे कि पुनर्चक्रण योग्य, जैविक अपशिष्ट और गैर-पुनर्चक्रण योग्य अपशिष्ट का निपटान कहां किया जाए, के बारे में जानकारी हो सके। कचरा प्रबन्धन के सम्बन्ध में यह भी सुझाव दिया गया है कि प्रत्येक प्रकार के कचरे के लिए पर्याप्त निपटान सुविधाओं की व्यवस्था के साथ-साथ कचरा संग्रहण और पृथक्करण प्रक्रिया की नियमित निगरानी व समुचित रख-रखाव किया जाय। चुनाव अवधि के दौरान अपशिष्ट पृथक्करण के महत्व को बढ़ावा देने और पर्यावरण अनुकूल गतिविधियों में भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए स्थानीय समुदायों और हितधारकों से अपेक्षित सहयोग प्राप्त किया जाय। कागज़ अल्पीकरण के सम्बन्ध में सुझाव दिया गया है कि मतदान केंद्रों पर मतदाता सूचियों और चुनावी सामग्री के लिए कागज का उपयोग कम से कम किया जाय। दस्तावेजो की अनावश्यक छपाई को कम करने के लिए मुद्रण से पहले दस्तावेज का पूर्वावलोकन, डबल साइड प्रिटिंग, लेआउट का अनुकूलन, मुद्रण का केंद्रीकरण आदि जैसी कुशल प्रथाओं को लागू किया जाय। पारम्परिक, कागज़ आधारित सामग्रियों की तुलना में ई-पुस्तकों और इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों के उपयोग को बढ़ावा एवं संचार और दस्तावेजीकरण के लिए इलेक्ट्रॉनिक तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाय। परन्तु कागज के उपयोग को कम करने का प्रयास करते समय यदि कागज के उपयोग की कोई वैधानिक आवश्यकता है तो उसे समाप्त नहीं किया जाएगा। ईंधन के अल्पीकरण के सम्बन्ध में सुझाव दिया गया है कि परिवहन के लिए पर्यावरण-अनुकूल वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देना, कारपूलिंग और सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहित करना, अभियानों के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को प्रोत्साहित करना, चुनाव अधिकारियों और मतदाताओं द्वारा तय की गई कुल दूरी को कम करने के लिए मतदान स्थानों को समेकित करने के सुझाव दिये गये हैं। आयोग द्वारा सुझाव दिये गये हैं कि सुनिश्चित मतदाता शिक्षा एवं निर्वाचक सहभागिता सहित अन्य जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही पर्यावरण-अनुकूल पहलों के बारे में मतदाताओं को जानकारी प्रदान की जाय। चुनाव अभियानों और मतदाता शिक्षा के लिए डिजिटल प्लेटफार्मों और सोशल मीडिया के उपयोग को प्रोत्साहित किया जाय। वर्चुअल टाउन हॉल और ऑनलाइन चर्चा को बढ़ावा देकर भौतिक साइनेज और बैनरों पर निर्भरता को कम करने के साथ-साथ उम्मीदवारों को पारम्परिक डाकों के बजाय डिजिटल संवाद पत्र और ईमेल अपडेट का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना भी आवश्यक है। इसके अलावा भारत निर्वाचन आयोग में भी पुस्तकों/सामग्रियों की छपाई के व्यापक मापदण्ड निर्धारित किये गये हैं ताकि पर्यावरण अनुकूल चुनाव के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। 

                      

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