Dec 17, 2022

गोमती रिवर फ्रंट की जांच तेज, शिवपाल यादव से पूछताछ के लिए शासन से मंजूरी की प्रतिक्षा, तत्कालीन जिलाधिकारी समेत कई उच्चाधिकारियों से हो सकती है पूछताछ।

लखनऊ में गोमती नदी के तट पर अखिलेश सरकार में बने रिवर फ्रंट मामलें में जांच तेज हो गई है। शनिवार को सीबीआई के अधिकारियों के साथ लखनऊ विकास प्राधिकरण और सिंचाई विभाग की टीम मौके पर निरीक्षण करेगी। इसमें यह तय किया जाएगा कि कहां और किस स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है। दरअसल, शिवपाल यादव के अखिलेश से करीबी बढ़ने के साथ ही इस बात का लोगों को अंदेशा लगने लगा था ।

इसमें यह भी कहा गया था कि शासन ने शिवपाल यादव से पूछ-ताछ के लिए अनुमति मांगी थी। अब CBI अब करोड़ों के इस घोटाले में तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल यादव के साथ ही इस काम से जुड़े प्रशासनिक अधिकारियों पर भी शिकंजा कसने जा रही है।

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल यादव से पूछताछ के लिए CBI शासन की हरी झंडी की प्रतिक्षा कर रही है। लखनऊ के गोमती रिवर फ्रंट घोटाले में इस बार CBI ने इस दौरान सरकार और लखनऊ में तैनात रहे जिम्मेदार अफसर दीपक सिंघल, आलोक रंजन, राहुल भटनागर, संजीव सरन, सुरेश चंद्रा और राजशेखर पर भी शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है।
 लखनऊ में गोमती नदी के किनारे रिवर फ्रंट प्रोजेक्ट तैयार किया गया था। इसकी जिम्मेदारी सिंचाई विभाग के पास थी। इसके निर्माण में करोड़ों का घोटाला होने की बात सामने आई। इसके बाद 19 जून 2017 को गौतमपल्ली थाने में आठ लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई।

फिर नवंबर 2017 में ईओडब्ल्यू ने भी इसकी जांच शुरू कर दी थी। दिसंबर 2017 में मामले की जांच सीबीआई के पास चली गई और सीबीआई ने भी एक FIR जांच एजेंसी ने केस दर्ज कर जांच शुरू की। दिसंबर 2017 में ही आईआईटी की टेक्निकल टीम ने भी जांच की। इसके बाद सीबीआई की जांच को आधार बनाते हुए मामले में ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया था।
 गोमती रिवरफ्रंट घोटाले में CBI की जांच में करीब 1800 करोड़ के घोटाले की जांच सामने आई। इसके साथ ही यह भी आया कि निर्माण में कई ऐसी फर्मों को ठेका दिया गया था, जिसने कभी 50 लाख रुपए सालाना का भी कम नहीं किया था। ऐसी 173 फर्मों को भी आरोपी बनाकर जांच शुरू की गई।

CBI की जांच में सामने आया कि जिन 16 इंजीनियरों को आरोपी बनाया गया था। है उनमें चार की इस घोटाले में अहम भूमिका थी। इसमे चीफ इंजीनियर एसएन शर्मा, अधीक्षण अभियंता रूप सिंह यादव, शिवमंगल यादव और अखिल रमन मुख्य थे। इन्होंने ही रिवरफ्रंट के ठेकों के लिए परिचितों की फर्मों को काम दिलाया। जिसमें ठेकेदार से 10 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक कमीशन लिया गया।
 रिवर फ्रंट घोटाले में सीबीआई ने इंजीनियर्स और ठेकेदारों पर तो कार्रवाई शुरू कर दी। लेकिन जिम्मेदार आईएएस अधिकारियों पर नरमी दिखा रही है। अब तक सीबीआई ने उन अफसरों से भी पूछताछ नहीं की है, जिनका इस प्रोजेक्ट से सीधा नाता था। मुख्य तौर पर
जुड़े 6 आईएएस अफसरों में 3 पूर्व मुख्य सचिव हैं।

अखिलेश सरकार में शुरू हुए गोमती रिवर फ्रंट परियोजना की नींव तत्कालीन प्रमुख सचिव सिंचाई दीपक सिंघल की देखरेख में डाली गई थी। इसके बाद प्रोजेक्ट की निगरानी से लेकर वित्तीय अनियमितताओं तक आधा दर्जन से ज्यादा आईएएस इसमें शामिल है। इन अधिकारियों ने आंख बंद करके इंजीनियरों रहे। और ठेकेदारों को लूट-खसोट करने की खुली छूट दे दी लेकिन खुद अभी तक किसी जांच के दायरे में नही आए।
 गोमती रिवरफ्रंट चैनलाइजेशन और रबर डैम की तकनीक के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए ब्यूरोक्रेट्स आलोक रंजन, दीपक सिंघल आदि ने पूर्व सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह यादव के विदेश यात्राएं की। जिसमें यह लोग चीन, जापान, स्टॉकहोम, जर्मनी, मलयेशिया, सिंगापुर, साउथ कोरिया और ऑस्ट्रिया जैसे देश जाकर इस तरह के प्रोजेक्ट देखे। जांच के दौरान सिंचाई विभाग के अधिकारी और इंजिनियर इन यात्राओं का ब्योरा नहीं दे सके।

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