पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अनामिका राय ने बताया कि अब पाठ्यक्रम में कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत के 1200 ई. तक के इतिहास को शामिल किया जा रहा है। यह पाठ्यक्रम पहले छात्रों को स्नातक स्तर पर नहीं पढ़ाया जा रहा था। इसके अलावा कश्मीर की रानी दिद्दा समेत वहां की अन्य रानियों के इतिहास से छात्रों को रूबरू कराया जाएगा।
प्राचीन इतिहास के छात्र अब फाउंडेशन कोर्स संग वैदिक और प्राचीन ज्योतिष का अध्ययन भी करेंगे। इसके साथ ही कल्हण का राजतरंगिणी ग्रंथ भी चार वर्षीय पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा। चार वर्षीय पाठ्यक्रम के तहत एक साल में छात्र को सार्टिफिकेट, दूसरे साल में डिप्लोमा, तीसरे साल में डिग्री एवं चौथे साल में आनर्स डिग्री प्रदान की जाएगी।
विभागाध्यक्ष एवं चीफ प्रॉक्टर प्रो. हर्ष कुमार ने बताया कि पहले साल में पुरातत्व, राजनीतिक इतिहास, इलेक्टिव के एक विषय की पढ़ाई करनी होगी। दूसरे साल में राजनीति इतिहास, विश्व की सभ्यताएं संग इलेक्टिव कोर्स की पढ़ाई करनी होगी। तीसरे साल में इतिहास दर्शन, कला एवं स्थापत्य, भारतीय संस्कृति, पर्यावरण, धर्म एवं दर्शन, सर्वेक्षण एवं उत्खनन के तकनीकों का अध्ययन, पर्यटन आदि को पढ़ाया जाएगा। वहीं चौथे वर्ष में संग्रहालय, मूर्ति, मंदिरों का टूर और प्रोजेक्ट तैयार कराया जाएगा।
रुधौली बस्ती से अजय पांडे की रिपोर्ट
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