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Sep 27, 2022

विश्व पर्यटन दिवस : पर्यटन की हैं अपार संभावनाएं, विकास हो तो मिले नई उड़ान

बस्ती, । जिले में पर्यटन की अपार संभावना है। धार्मिक व एतिहासिक दृष्टि से काफी समृद्ध है। कई जगहों पर पर्यटन विभाग की तरफ से विकास योजनाएं चल रही हैं। यदि इन स्थलों का विकास और प्रचार-प्रसार हो तो जिले में पर्यटन उद्योग को नई उड़ान मिल जाएगी।

रामायण सर्किट में बस्ती जनपद का मखौड़ा धाम, श्रृंगीनारी, रामरेखा मंदिर व हनुमान बाग चकोही होता है। यहां से होकर 84 कोसी परिक्रमा निकलती है। अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह बड़ा आकर्षण का केंद्र बन सकता है। ऐतिहासिक दृष्टि से अमोढ़ा का किला, छावनी शहीद स्थल, पैड़ा स्थित भैया शिव गुलाम स्थल, राजानगर का किला, महुआ डाबर पर्यटकों के लिए बेहतर स्थान हैं।    

        बाबा भदेश्वरनाथ मंदिर सहित करीब एक दर्जन मंदिरों पर भी पर्यटन विभाग काम करा रहा है। पयर्टन विभाग के जनपदीय नोडल एडीएम ने बताया कि सभी जगहों पर काम चल रहा है। उसका सघन पर्यवेक्षण किया जा रहा है। रामायण सर्किल वाले क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कार्य चल रहा है।   
मखौड़ा धाम: राजा दशरथ ने मखौड़ा में पुत्रेष्ठि यज्ञ किया था। यहां पर मनोरमा नदी के किनारे रामजानकी मंदिर व यज्ञशाला स्थल है। रामायण सर्किट में यह स्थान आता है और यहीं से 84 कोसी परिक्रमा का शुभारंभ व समापन होता है। अयोध्या आने वाले श्रद्धालु प्राय: यहां पर दर्शन के लिए आते हैं। पयर्टन विभाग इस स्थान के विकास के लिए कार्य कर रहा है। यहां पर अयोध्या आने वाले बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।    

श्रृंगीनारी : राजा दशरथ की पुत्रेष्ठि यज्ञ कराने वाले श्रृंगी ऋषि अपनी पत्नी शांता के साथ इस स्थान पर आश्रम बनाकर रहते थे। यज्ञ बाद देवी शांता यहीं पर रहकर देवी की पिंडी स्थापित कर आराधना करती थीं। इस स्थान पर देवी का मंदिर, धर्मशाला है। हर वर्ष आषाढ़ माह के अंतिम मंगलवार को बुढ़वा मंगल का मेला लगता है। पर्यटन विभाग ने इंटरलाकिंग आदि का काम कराया है। यहां पर कथा सभागार का निर्माण हो रहा है।    

रामरेखा मंदिर : रामायणकालीन रामरेखा मंदिर अमोढ़ा में सथित है। मान्यता है कि प्रभु श्रीराम ने जनकपुर से सीता स्वयंवर के पश्चात लौटते समय रात्रि विश्राम किया था। अयोध्या की चौरासी कोसी परिक्रमा का पहला पड़ाव स्थल है। रामरेखा मंदिर का विकास पर्यटन स्थल के रूप में पर्यटन विभाग कर रहा है। यहां पर श्रद्धालु भी आने लगे हैं।    
अमोढ़ा का किला: प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अमोढ़ा की रानी तलाश कुंवरि ने अंग्रेजों के विरूद्ध लोहा लिया था। लड़ाई में रानी से मात खाने के बाद अंग्रेजों ने चारों तरफ से किले को घेर लिया था। उसके बाद भी रानी उनके हत्थे नहीं चढ़ीं और स्वयं की कटार से अपनी जीवन लीला समाप्त कर लिया। स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अमोढ़ा घराने का काफी महत्व है। पर्यटन विभाग ने यहां पर कई काम कराए हैं। अक्सर लोग किले को देखने आते हैं।      

           रुधौली बस्ती से अजय पांडे की रिपोर्ट

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