Sep 18, 2019

वंचितों, असहायों व मजलूमों की व्यथा लिखने के बाद फ़िल्म की पटकथा लिख रहें हैं - गाँव के लाल - दीपक सिंह । आरक्षण को सावित किया बौना, जानें कौन हैं दीपक।

वंचितों, असहायों व मजलूमों की व्यथा लिखने के बाद फ़िल्म की पटकथा लिख रहें हैं - गाँव के लाल - दीपक सिंह । आरक्षण को सावित किया बौना, जानें कौन हैं दीपक।



तकाजा है तूंफ़ा का लहरों से खेलो, कब तक चलोगे किनारे किनारे।
मंजिले खुद चूम लेंगी कदम, मुसाफिर अगर अपनी हिम्मत न हारे।

कहते हैं, कि जब कुछ करने का जब्बा हो तो मुश्किलें रास्ता छोड़ देती हैं, कुछ इसी तरह का जब्बा  व हौसला, नदी के कछारों के पास स्थित गाँव अरवत ,जनपद आयोध्या में एक सामान्य राजपूत परिवार में मार्कण्डेय सिंह के घर पैदा होने वाले दीपक सिंह में भी दिख रहा है। बहुत सी कठिनाइयों को दरकिनार कर संघर्ष करके अपनी पढ़ाई करने वाले दीपक ने साहित्य को अपना कैरियर चुना,अपनी दक्षता , प्रतिभा व कार्यशैली की बदौलत उन्होंने आरक्षण को भी बौना सावित कर दिया।

सामाजिक वेदना को बयां करती उनकी लाइने-

धरा से चला गया वह राख बनकर,बेटियों का अरमान धरा ही रह गया।
वो किसान मरना फितरत थी उसकी, जमीर जिंदा रखने को फरमान सा रह गया।

अपने बारे में बताते हुये दीपक सिंह कहते हैं कि -

मुझे साहित्य से बहुत लगाव बचपन से ही था। मै अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद टाटा मोटर्स में जॉब करने लगा। पर मेरा मन हमेशा साहित्य में ही लगा रहता था और इसलिए मै साहित्य के क्षेत्र मे भी काम करता रहा और इसी दौरान एक प्रोग्राम मे टाटा मोटर्स के प्लांटों से 26 जनवरी 2014 को बेस्ट कविता का अवार्ड मुझे मिला। जब तालियों ने अभिवादन किया तो मन को ऐसा महसूस हुआ कि "दीन दुखी असहायों का दर्द कौन देखे और किसे दिखेगा। सिर पर बोझ और पीठ पर ममता ये दर्द हम न लिखे तो कौन लिखेगा।।

मेरे मन में यह विचार आया कि अब मैं साहित्य के लिए ही काम करूंगा और मैं साहित्य के लिए काम करता रहा। टेलिफिल्म के साथ कविता में सक्रिय रहा मैं वीर रस ,श्रृंगार रस के साथ देश भक्ति जवानों और किसानों के ऊपर कई कविताएं लिखी। जो Hindi kavita.com पर आती हैं और बहुत जगह प्रकाशित भी हुई। इसके अलावा फिल्म स्क्रिप्ट कविता, व उपन्यास में भी काम करना अच्छा लगता है।

मेरी पहली उपन्यास जो आज से ढाई हजार करोड साल पहले या कहे पृथ्वी की उत्पत्ति के पहले की काल्पनिक कहानी है।मेरे इस उपन्यास का नाम परग्रही  है जिसमें एक ग्रह पर बसे इंसान किस तरह से अपने ग्रह का विनाश कर लेते हैं और फिर नये ग्रह की खोज में उन्हें बहुत कुछ ऐसा मिलता है जो उनकी सोच से परे होता है। इसमें मनुष्यो की कुछ ऐसे लोगों से मुलाकात होती है जो लाखो साल तक जिंदा रह सकते हैं। ब्रह्मांड के हिस्सों में कई जगह जीवन की जानकारी मिलती हैं।और अंत में कुछ चंद लोग ऐसे ग्रह पर पहुंचते हैं जहां जीवन होता है। यह उपन्यास इस साल के अंत तक आप सबके सामने आ जायेगी ।


दीपक सिंह "दीपक''
स्क्रीनप्ले राइटर,कहानी ,कविता नावेल।
deepaksinghddd92@gmail.com

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