भगवान शिव पर जलाभिषेक करने के लिए श्रावण मास सबसे उत्तम : रवींद्र कुमार मिश्र
फखरपुर, बहराइच। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव की पूजा - अर्चना के लिए श्रावण मास सबसे उत्तम माना गया है। शिव भक्तों द्वारा अपनी क्षमता अनुसार कावड़ यात्रा किया जा रहा है। सुल्तानपुर जिला के मूल निवासी फखरपुर में तैनात शिक्षक रवींद्र कुमार मिश्र सपत्नी मन में श्रद्धा और विश्वास का भाव लिए रविवार को पंडित पुरवा गांव में प्रकट / स्थापित भगवान शिव का दर्शन कर जलाभिषेक किए। शिक्षक रवींद्र ने बताया कि श्रावण मास को सावन भी कहा जाता है। यदि इस माह में समर्पण भाव से श्रद्धा पूर्वक भगवान शिव की पूजा करके जलाभिषेक किया जाए तो भक्तों की सारी मनोकामना पूर्ण होती है। शास्त्र के मुताबिक सबसे पहला कावड़ यात्रा भगवान परशुराम ने किया था। बांस के डंडे के दोनों सिरों पर जल कलश बांधकर भगवान शिव पर जलाभिषेक करने के लिए पैदल यात्रा करना ही कावड़ यात्रा कहलाता है। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान निकला विष को भगवान शिव ने पीकर संसार की रक्षा की लेकिन विष के असर से शरीर बहुत गर्म हो गया था। गर्माहट को खत्म करने के लिए देवताओं ने जल से अभिषेक किया तथा दुग्ध पान कराया। जिससे भगवान शिव का मन और शरीर शांत हुआ। तभी से ऐसी मान्यता है कि जो भक्तगण समर्पण भाव से बेलपत्र, धतूरा, अक्षत अर्पित करके दूध और जल से अभिषेक (श्रावण मास सबसे उत्तम) करते हैं उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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