करनैलगंज/गोण्डा-भक्ति को परिभाषित करना या शब्दों में बाँधना शायद असंभव है या यूं कहा जाए की लेखनी से परे है तो अतिशयोक्ति नहीं होगा। पौराणिक काल की बात करें तो भक्ति चाहे माँ के अनन्य भक्त पण्डित श्रीधर की रही हो,मां ज्वाला देवी भक्त ध्यानू की रही हो, प्रभु श्रीराम के दर्शन प्यासी शबरी की रही हो या सूरदास,रसखान,मीरा या श्रीरामचरित मानस की रचना कर विश्व को मर्यादा पुरषोतम प्रभु श्रीराम के जीवन दर्शन का संदेश देने वाले गोस्वामी तुलसीदास की भक्ति रही हो। अपनी कठिन त्याग,तपस्या तथा साधना रूपी भक्ति के आकंठ में डूबकर,भक्ति के रस में सराबोर होकर इन मनीषियों ने संसार के दुर्लभ से दुर्लभ लक्ष्य को बहुत ही आसानी से हासिल कर लिया। कलियुग में कुछ इसी तरह त्याग और साधना का मिशाल पेश किया है माँ के इस अनन्य भक्त ने। आधुनिकता के इस दौर में जब मनुष्य लगातार सुविधाभोगी होता जा रहा है और सामज में पाश्चात्य सभ्यता हाबी होती दिख रही है,तो ऐसे में गोण्डा से साइकिल द्वारा यात्रा करके जम्बू, कटरा होते हुए वैष्णो माता के दरबार में पहुँचकर मत्था टेकने वाले गोण्डा के इस युवक ने माँ के प्रति समर्पण व भक्ति की अनोखी मिशाल पेश की है। आज हम बात कर रहे हैं ज़िला मुख्यालय से क़रीब 20 कि.मी.दूर स्थित परसपुर क्षेत्र के मोहना गाँव निवासी 30 वर्ष के चिंटू मौर्य की, जिन्होंने कठनाई भरी हजारों कि.मी.की यात्रा मात्र 20 दिनो में पूरी कर माता देवी का दर्शन करके त्याग व समर्पण का बहुत ही अनोखा उदाहरण पेश किया है। मोहना छतौनी मोड़ पर टिक्की, समोसा का ठेला लगाकर जीवन यापन करने वाले माँ वैष्णो दर्शन के लिए लालायित चिंटू मौर्य ने नंगे पैर अपनी साइकिल से 22 अगस्त को अपने घर से यात्रा शुरू की और 20 दिन के अन्दर माँ का दर्शन करके 9 सिप्तम्बर को घर वापस आ गये। अदम्य साहस व साधना की मिशाल बन चुके चिंटू मौर्य के घर वापसी पर मोहना चौराहे पर क्षेत्रवासियों द्वारा बड़े ही हर्ष के साथ फूलो की माला पहना कर उनका स्वागत व अभिनंदन किया गया । इस दौरान ज़िला पंचायत सदस्य भूपेन्द्र सिंह,रामजी मिश्रा,राम बाबू मौर्य,विनोद दुबे,देवेश पाण्डेय,देवकी नन्दन पाण्डेय,तथा नन्द किशोर सहित अन्य तमाम लोग मौजूद रहे।
Sep 10, 2022
भक्ति की अनोखी मिशाल, गोण्डा से साईकिल द्वारा वैष्णो देवी पहुँचा माँ का यह लाल
करनैलगंज/गोण्डा-भक्ति को परिभाषित करना या शब्दों में बाँधना शायद असंभव है या यूं कहा जाए की लेखनी से परे है तो अतिशयोक्ति नहीं होगा। पौराणिक काल की बात करें तो भक्ति चाहे माँ के अनन्य भक्त पण्डित श्रीधर की रही हो,मां ज्वाला देवी भक्त ध्यानू की रही हो, प्रभु श्रीराम के दर्शन प्यासी शबरी की रही हो या सूरदास,रसखान,मीरा या श्रीरामचरित मानस की रचना कर विश्व को मर्यादा पुरषोतम प्रभु श्रीराम के जीवन दर्शन का संदेश देने वाले गोस्वामी तुलसीदास की भक्ति रही हो। अपनी कठिन त्याग,तपस्या तथा साधना रूपी भक्ति के आकंठ में डूबकर,भक्ति के रस में सराबोर होकर इन मनीषियों ने संसार के दुर्लभ से दुर्लभ लक्ष्य को बहुत ही आसानी से हासिल कर लिया। कलियुग में कुछ इसी तरह त्याग और साधना का मिशाल पेश किया है माँ के इस अनन्य भक्त ने। आधुनिकता के इस दौर में जब मनुष्य लगातार सुविधाभोगी होता जा रहा है और सामज में पाश्चात्य सभ्यता हाबी होती दिख रही है,तो ऐसे में गोण्डा से साइकिल द्वारा यात्रा करके जम्बू, कटरा होते हुए वैष्णो माता के दरबार में पहुँचकर मत्था टेकने वाले गोण्डा के इस युवक ने माँ के प्रति समर्पण व भक्ति की अनोखी मिशाल पेश की है। आज हम बात कर रहे हैं ज़िला मुख्यालय से क़रीब 20 कि.मी.दूर स्थित परसपुर क्षेत्र के मोहना गाँव निवासी 30 वर्ष के चिंटू मौर्य की, जिन्होंने कठनाई भरी हजारों कि.मी.की यात्रा मात्र 20 दिनो में पूरी कर माता देवी का दर्शन करके त्याग व समर्पण का बहुत ही अनोखा उदाहरण पेश किया है। मोहना छतौनी मोड़ पर टिक्की, समोसा का ठेला लगाकर जीवन यापन करने वाले माँ वैष्णो दर्शन के लिए लालायित चिंटू मौर्य ने नंगे पैर अपनी साइकिल से 22 अगस्त को अपने घर से यात्रा शुरू की और 20 दिन के अन्दर माँ का दर्शन करके 9 सिप्तम्बर को घर वापस आ गये। अदम्य साहस व साधना की मिशाल बन चुके चिंटू मौर्य के घर वापसी पर मोहना चौराहे पर क्षेत्रवासियों द्वारा बड़े ही हर्ष के साथ फूलो की माला पहना कर उनका स्वागत व अभिनंदन किया गया । इस दौरान ज़िला पंचायत सदस्य भूपेन्द्र सिंह,रामजी मिश्रा,राम बाबू मौर्य,विनोद दुबे,देवेश पाण्डेय,देवकी नन्दन पाण्डेय,तथा नन्द किशोर सहित अन्य तमाम लोग मौजूद रहे।
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