Sep 2, 2022

बस्ती आरटीओ के पास नहीं है प्रदूषण जांचने का कोई साधन

परिवहन विभाग में अजब-गजब हाल है। विभाग जहां वाहनों का रजिस्ट्रेशन से लेकर फिटनेस देने का कार्य तो खुद करता है लेकिन वहीं प्रदूषण जांच निजी हाथों से कराता है। ऐसे में कोई मानक नहीं दिखता। रुपये देने पर मनचाहा सर्टिफिकेट प्राप्त कर लिया जा रहा है।

विभाग के अनुसार जिले में कुल 13 प्रदूषण जांच केंद्र निजी हाथों में संचालित हैं। यहां बीएस-थ्री से लेकर बीएस-छह तक के वाहनों की प्रदूषण जांच होती है। हालांकि यह जांच सिर्फ खानापूर्ति जैसा है। किस वाहन का प्रदूषण सार्टिफिकेट वैध है, किसका नहीं यह भी कोई देखने वाला नहीं है। इससे यहां बेरोकटोक वाहन सड़कों पर दौड़ रहे हैं।       
        हाल यह है कि एक-एक वाहन से लगातार धुंआ निकलता है, लेकिन जिम्मेदार इस पर ध्यान देने के बजाए अनसुना कर देते हैं। आरआई संजय दास बताते हैं कि प्रदूषण जांच केंद्रों पर नियमित सत्यापन के लिए जाते हैं। प्रदूषण सर्टिफिकेट तय मानक के अनुसार ही वाहनों को दिए जाने का निर्देश है। यदि बिना प्रदूषण सर्टिफिकेट के वाहन चल रहे हैं तो उनका जुर्माना निर्धारित है।    
            अभी दोपहिया वाहन के प्रदूषण जांच कराने के लिए 30 रुपए देने पड़ते हैं। वहीं चार पहिया वाहन के लिए 40 और डीजल वाली गाड़ियों के लिए 50 रुपए शुक्ल निर्धारित है। चार पहिया और तीन पहिया गाड़ियों के लिए 70 रुपए देने पड़ेंगे। डीजल वाली गाड़ियों में प्रदूषण की जांच के लिए 100 रुपए देने पड़ते हैं। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सभी प्रकार की गाड़ियों को पीयूसी लेना अनिवार्य है। इसके लिए गाड़ियों का प्रदूषण जांच किया जाता है। पता लगाया जाता कि कहीं कोई गाड़ी तय मानकों से ज्यादा प्रदूषण तो नहीं छोड़ रही है। जांच के बाद सब सही होने पर पाल्यूशन सर्टिफिकेट जारी किया जाता है।

         रुधौली बस्ती से अजय पांडे की रिपोर्ट

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