लागत भी डेढ़ से दो गुना बढ़ती जा रही है। प्रशासन ने शासन को जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने के लिए आकलन रिपोर्ट भेज दी है। सदर ब्लॉक के किसान चंद्रभूषण बताते हैं कि बारिश न होने से खेती की लागत दोगुना हो गई है। एक बीघे धान की रोपई में पांच हजार रुपये लागत आई है। बारिश न होने से हर पांचवें व छठवें दिन खेत में पानी भरना पड़ रहा है। प्रति बीघे करीब सात घंटे इंजन चलाना पड़ रहा है। 150 रुपये प्रतिघंटे की दर से एक बार पानी भरने में एक हजार पचास रुपये की लागत आ रही है।
उन्होंने बताया कि अब तक खेत में चार से पांच बार पानी भरा जा चुका है। इसमें करीब 5200 रुपये सिंचाई में लागत लग चुकी है। यानी प्रति बीघे अब तक किसानों को 10 हजार रुपये से ज्यादा खर्च करना पड़ा है। अगर बारिश नहीं होती है तो इसमें हर छठवें दिन एक हजार 50 रुपये लागत बढ़ती जाएगी।
शासन को बस्ती मंडल के संयुक्त कृषि निदेशक की तरफ से भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक जिले में पिछले वर्ष की तुलना में आधे से भी कम बारिश हुई है। पिछले वर्ष अनुमानित सामान्य वर्षा 826.76 मिली मीटर की जगह 758.30 मिमी बारिश हुई थी। इस साल अब तक महज 275.40 मिमी ही बारिश हुई है।
मौसम विज्ञानी डॉ. अमरनाथ मिश्र का कहना है कि आने वाले सात दिनों में सामान्य तौर से छिटपुट बारिश का अनुमान है। इस बीच कहीं-कहीं हल्की बारिश हो सकती है। पुरवा हवा के सामान्य गति से चलने का अनुमान है। औसत तापमान 35/25 रहने का अनुमान है।
रुधौली बस्ती से अजय पांडे की रिपोर्ट
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