Apr 22, 2025

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए जनपद में गठित होंगे 50-50 हेक्टेयर के 120 कलस्टर

 प्राकृतिक खेती के लिए 27 ग्रामों में संचालित हो रहे हैं जागरूकता कार्यक्रम

बहराइच। जिलाधिकारी मोनिका रानी के प्रयासों से प्रदेश सरकार एवं कृषि निदेशालय द्वारा जनपद के किसानों की आय वृद्धि, पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य के अधिक सुदृढीकरण के उद्देश्य से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने हेतु जिले को 50-50 हेक्टेयर के 120 क्लस्टर गठित करने की का लक्ष्यावंटन/कार्ययोजना प्राप्त हुई है।यह जानकारी देते हुए उप निदेशक कृषि शिशिर कुमार वर्मा ने बताया कि प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के दृष्टिगत चयनित क्लस्टरों में कृषकों को प्राकृतिक खेती करने के लिये जागरुक करने हेतु 22 से 30 अप्रैल 2025 तक जागरुकता अभियान प्रारम्भ किया गया है। अभियान के दौरान भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय ग्रामीण अजीविका मिशन विभाग (एनआरएलएम) की कृषि सखियों को गत वर्ष जनपद के कृषि विज्ञान केन्द्र नानपारा एवं बहराइच में प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण कृषि वैज्ञानिकों द्वारा प्रदान किया गया है। कृषि विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारियों के साथ प्रशिक्षित कृषि सखियां अपने-अपने क्लस्टर की रिसोर्स पर्सन के रुप में कार्य करते हुए चयनित क्लस्टरों के किसानों को प्राकृतिक खेती हेतु जागरुक करेंगी।उप निदेशक कृषि श्री वर्मा ने बताया कि कृषि विभाग बहराइच द्वारा अनेकों योजनायें चलाई जा रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों की आय वृद्धि करना है। इसी के दृष्टिगत जिले में 90 से अधिक एफपीओ का गठन कराया गया है। गठित कराये गये एफपीओ तथा जिले के प्रगतिशील कृषकों के माध्यम से प्राकृतिक खेती करने हेतु चयनित ग्रामों में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित कराया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा जिले के किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने हेतु नेशनल मिशन फार नेचुरल फार्मिंग योजना के तहत वर्ष 2025-26 एवं 2026-27 के लिये 120 क्लस्टर चयनित किये गये है। उप निदेशक कृषि ने बताया कि 22 से 30 अप्रैल तक जिले ब्लाक बलहा के ग्राम सरैया, फखरपुर के रौंदोपुर एवं अमवातेतारपुर, कैसरगंज के ऐनीहतिन्सी, तेजवापुर के चन्दनापुरसिकड़िया, मिहींपुरवा के चोरवा, हुज़ुरपुर के सिंहपुर, विशेश्वरगंज के गोविन्दापुरपण्डित, ललितनगर एवं जलालपुर, जरवल के तप्पेसिपाह में प्राकृतिक खेती अपनाने हेतु जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया तथा किसानों को प्राकृतिक खेती से होने वाले लाम की जानकारी प्रदान की जा रही है। श्री वर्मा ने बताया कि खेती की बढ़ती कृषि लागत, घटती कृषक आय, प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण एवं प्रदूषण, स्थिर उत्पादकता एवं खाद्यानों का मानव स्वास्थ्य पर पड़ता प्रतिकूल प्रभाव, वर्तमान कृषि प्रणाली के दुष्परिणाम को परिलक्षित कर रहे हैं। ऐसे में अच्छी कृषि प्रणाली समय की एक अनिवार्य आवश्यकता हो गयी है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में किसानों को रसायनिक मुक्त खेती अपनाने, स्थानीय संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग करने और खेती की पारम्परिक पद्धतियों को अपनाने के लिये पूरे देश में प्राकृतिक खेती को मिशन मोड में बढ़ावा दिये जाने की योजना लागू की गयी है। इस योजना का मुख्य लक्ष्य किसानों की लागत को कम करना, निट्टी तथा पर्यावरण की सेहत सुधारना और सुरक्षित करना व पौष्टिक खाद्य उत्पादन को बढ़ावा देना। इसके साथ ही साथ यह जैव विविधता को बढ़ाकर जलवायु लचीलापन भी सुनिश्चित करेगी।

             

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