कोई भी एग्जाम जीवन का अंत नहीं होता। हमें तनाव से मुक्ति का संकल्प लेना होगा। परिणाम के तनाव को मन में लेने की जरूरत नहीं है। कहा कि स्टूडेंट को घर के दायरे में रखना अच्छी बात नहीं है। 10वीं, 12वीं के एग्जाम के बाद बच्चे को कम से कम 5 दिन के लिए घुमाकर आओ। बच्चे को हिम्मत के साथ बाहर भेजो, बच्चा बहुत कुछ सीखकर आएगा।
बच्चे को कुछ दिन के लिए बाहर भेजें
बच्चे को कुछ पैसे दें और उसे समझाकर बाहर भेजें। स्कूल में जो बच्चा अच्छा करता है, उससे मिलने के लिए भेजना चाहिए। कहा कि शिक्षक बच्चों के साथ जितना अपनापन बनाएंगे, उतना बेहतर है। स्टूडेंट जब कोई सवाल पूछता है तो वह आपकी परीक्षा नहीं लेना चाहता, यह उसकी जिज्ञासा है। किसी भी जिज्ञासु बच्चे को टोकें नहीं। अगर जवाब नहीं भी आता है तो उसे प्रोत्साहित करें कि तुम्हारा प्रश्न बहुत अच्छा है। मैं अधूरा जवाब दूं तो यह अन्याय होगा। इसका जवाब मैं तुम्हें कल दूंगा और इस दौरान मैं खुद इसका जवाब ढ़ूढूंगा। इसलिए समय लेना गलत नहीं है, गलत बताना गलत है।
नो टेक्नोलॉजी जोन घोषित किया जाए
भारत, विविधताओं से भरा देश है, हमारे पास सैंकड़ो भाषाएं है। यह हमारी समृद्धि है, कम्यूनिकेशन एक बहुत बड़ी शक्ति है। जैसे हम सोचते हैं पियानो या तबला सीखूं, तो ऐसे ही अपने पड़ोस के किसी राज्य की भाषा भी सीखनी चाहिए। बदलते समय में अब हमें डिजिटल फास्टिंग की जरूरत है। आपको अपने घर में भी एक एरिया तय करना चाहिए। जिसे नो टेक्नोलॉजी जोन कहा जाए। हमें यह खुद समझना चाहिए कि हमें गैजेट्स का गुलाम नहीं बनना है। हमें टेक्नोलॉजी या गैजेट्स से भागना नहीं है, उसे अपनी जरूरत के अनुसार इस्तेमाल करना है।
रुधौली बस्ती से अजय पांडे की रिपोर्ट
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