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Jan 17, 2023

उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने अभिभावकों को दी बड़ी राहत,क ोरोना काल के दौरान वसूली गई फीस में 15 प्रतिशत वापसी का आदेश।

उत्तर प्रदेश के उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने करोड़ों अभिभावकों को अपने निर्णय से बड़ी राहत दी है। उच्च न्यायालय ने सोमवार को अभिभावकों के द्वारा दाखिल याचिकाओं के निर्णय में प्रदेश के सभी बोर्डों के सभी विद्यालयों के प्रबंध समितियों से कहा है कि कोरोना काल 2020-2021 सत्र में अभिभावकों से लिया गया विद्यालय शुल्क की 15 प्रतिशत फीस उन्हें माफी करनी होगी। अभिभावकों को यह छूट मौजूदा सत्र के शुल्क में समायोजित की जायेगी 

उच्च न्यायालय के आदेशानुसार के सभी विद्यालयों को शैक्षणिक सत्र 2020-21 में ली गई कुल शुल्क का 15 प्रतिशत जोड़कर आगे के सत्र में समायोजित करना होगा। जो बच्चे उत्तीर्ण करके अथवा अन्य कारणों से विद्यालय छोड़ चुके हैं, प्रबंध समितियों को उन्हें वर्ष 2020-21 में वसूले गए शुल्क का 15% मूल्य जोड़कर वापस लौटाना होगा।

इस पूरी प्रक्रिया को करने के लिए न्यायालय ने सभी विद्यालयों को इसके लिए दो माह का समय दिया है। सभी याचिकाओं की संयुक्त सुनवाई 6 जनवरी को हुई थी और निर्णय कल 16 जनवरी को आया है।
 कोरोना काल में ली जा रही स्कूल फीस के विरोध में तमाम अभिभावकों की ओर से उच्च न्यायालय इलाहाबाद में याचिकाएं दायर की गई थीं। दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने बड़ा फैसला दिया है। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है की साल 2020-21 में राज्य के सभी स्कूलों में ली गई कुल फीस पर 15% माफ़ किया जायेगा।

बहस के दौरान न्यायालय में याचिकाकर्ता अभिभावकों की ओर से एडवोकेट शाश्वत आनंद व यानेंद्रा पांडे ने पक्ष रखते हुए जोर दिया था कि निजी स्कूलों में साल 2020-21 में ऑनलाइन ट्यूशन को छोड़कर कोई भी सेवा नहीं दी गई।

इस प्रकार निजी स्कूलों द्वारा ट्यूशन फीस से एक भी रुपया ज्यादा लेना मुनाफाखोरी और शिक्षा के व्यवसायीकरण के अलावा कुछ भी नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने अपने तर्कों के समर्थन में सर्वोच्च न्यायालय के इंडियन स्कूल, जोधपुर बनाम स्टेट ऑफ़ राजस्थान के हाल ही में दिए हुए फैसले का भी हवाला दिया है।

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