सात मार्च को मेडिकल कॉलेज में एक कोरोना मरीज की मौत इलाज के दौरान हो गई थी। इसके बाद पहली सितंबर को मेडिकल कॉलेज में एक कोविड पॉजिटिव की मौत हुई है। चिकित्सकों का कहना है कि पहली सितंबर को जिस युवती की मौत हुई है वह गंभीर टीबी की मरीज थी। उसके फेफड़े पूरी तरह खराब हो चुके थे। लंबे समय से उसका टीबी का इलाज चल रहा था। आम तौर से इस तरह के मरीजों को दूसरी बीमारियों से सक्रमित होने की ज्यादा आशंका रहती है। युवती का ऑक्सीजन लेवल लगातार कम होता जा रहा था। फेफड़े काम न करने के कारण तमाम संसाधन के बाद भी उसकी ऑक्सीजन लेवल बढ़ाया नहीं जा सका।
आईडीएसपी के जिला सर्विलांस ऑफिसर डॉ. सीएल कन्नौजिया ने बताया कि सात मार्च के बाद से 300 से ज्यादा मरीज जांच में कोविड पॉजिटिव मिल चुके हैं। इसमें आधा दर्जन को ही तीन से चार दिन के लिए अस्पताल में रखना पड़ा। बाकी लोग घर पर ही रहकर निगेटिव हो गए। इस अधिकांश मामलों में देखा जा रहा है कि पॉजिटिव व्यक्ति का कहना होता है कि उसे किसी तरह की समस्या ही नहीं है। शुक्रवार को 10 एक्टिव केस थे, किसी को अस्पताल में रखने की जरूरत नहीं है।
कोविड मरीजों के इलाज के लिए जिले में पांच अस्पताल पूरी तरह तैयार हैं। शासन के निर्देश पर तीन से चार माह में अस्पताल में बाकायदा मॉकड्रिल का आयोजन कर वहां की व्यवस्था को बार-बार परखा जा रहा है। प्रशिक्षित स्टॉफ के साथ ही पर्याप्त मात्रा में दवा भी उपलब्ध है। मेडिकल कॉलेज की चिकित्सा इकाई ओपेक अस्पताल में लेवल-टू का अस्पताल है। यहां पर तीन आक्सीजन प्लांट के साथ ही आक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था है। इसके अलावा मुंडेरवा, दुबौलिया, भानपुर व मरवटिया सीएचसी को एल-वन अस्पताल बनाया गया है। प्रत्येक अस्पताल में 30 से ज्यादा ऑक्सीजन कंसनट्रेटर के साथ ही ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था है।
रुधौली बस्ती से अजय पांडे की रिपोर्ट
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