इस बार मानसून ने किसानों को धोखा दिया। जून से लेकर अब तक उम्मीद के हिसाब से बारिश नहीं हो सकी। जिससे धान की फसल काफी हद तक प्रभावित हो गई है। पानी की कमी से बीमारी से उनका ग्रोथ भी रूक सी गई है। शासन के फरमान पर डीएम संजीव रंजन के निर्देश पर सभी तहसीलों में किसानों के खेत-खेत के सर्वे का काम तेज कर दिया गया है।कृषि विभाग की मानें तो सूखाग्रस्त का मानक दर 33 फीसदी है। यानी उत्पादन का एक तिहाई फीसदी है। विभाग के अनुसार बारिश 57 फीसदी कम हुई है। गांव में हरे धान को काटकर कुछ किसान पशुओं को चारा खिलाने के रुप में उपयोग में ला रहे हैं। जिला कृषि अधिकारी सीपी सिंह ने बताया कि किसानों के खेत का सर्वे चल रहा है। निर्धारित तिथि तक सर्वे कराकर वास्तविक रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।
जिलाधिकारी संजीव रंजन ने अधिशासी अभियंता नलकूप को जिले में खराब पड़े नलकूपों को ठीक कराने के लिए निर्देशित किया है। इस कार्य में किसी भी स्तर पर लापरवाही मिलने पर दोषी के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है।
जिले के सूखागस्त घोषित होते ही भू-राजस्व और राजकीय नलकूपों से सिंचाई की वसूली स्थगित रखी जाएगी। एडीएम उमाशंकर ने बताया कि किसानों के ट्यूबवेल के बिजली कनेक्शन न काटने समेत किसानों को दलहन, तिलहन और सब्जी के बीज उपलब्ध कराने, सिंचाई विभाग को नहरों में पानी की उपलब्धता बनाए रखने तथा बिजली विभाग को ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति बढ़ाने के भी निर्देश दिए हैं।
रुधौली बस्ती से अजय पांडे की रिपोर्ट
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