स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार कई दिनों से हरिश्चंद्र की मान मन्नौवल कर रहे थे। वजह मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव उप्र से इस मामले में मेडिकल रिपोर्ट 30 सितम्बर तक तलब किया है। इससे प्रशासनिक जिम्मेदारों में हलचल है। गुरुवार को सीएचसी कप्तानगंज की आरबीएसके की टीम के साथ हरिश्चंद्र और उसकी बेटी को उपचार के लिए पीजीआई लखनऊ भेजा गया।
कप्तानगंज के ओझागंज निवासी हरिश्चंद्र के तीन बच्चों और पत्नी की मौत के मामले में हरिश्चंद्र का कहना था कि सभी की मौत कुपोषण से हुई है। एक चार साल की बेटी विंध्वासिनी है। वह भी कुपोषण के चलते गंभीर बीमारी से ग्रसित है। यह मामला उस समय सुर्खियों में आ गया था, जब एक वर्ष पहले एक भाजपा नेता हरिश्चंद्र के साथ अस्पताल में उसकी बेटी का दवा कराने के लिए पैरवी करने पहुंचे थे और विवाद हो गया था।
मामला शासन तक पहुंचा था। कुपोषण से बच्चों और पत्नी की मौत के मामले को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया था। मामले में प्रशासन की ओर से मजिस्ट्रेटी जांच भी कराई गई थी। जिसमें प्रशासन की ओर से मानवाधिकार आयोग को बताया गया कि ओझागंज के हरिश्चंद्र के दो बच्चों और पत्नी की मौत कुपोषण से नहीं बल्कि बीमारी के चलते हुई थी। जो बेटी विंध्वासिनी है भी बीमारी की चपेट में हैं।
मानवाधिकार आयोग ने विंध्वासिनी को कुपोषण नहीं बल्कि बीमारी होने के मामले की पुष्टि के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को पत्र लिखा। कहा कि हरिश्चंद्र के बेटी विंध्वासिनी को पीजीआई रिसर्च सेंटर में भर्ती कराकर उसकी मेडिकल रिपोर्ट 30 सितम्बर तक भेजें।
रुधौली बस्ती से अजय पांडे की रिपोर्ट
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